वह मोद न मुक्ति के मंदिर में है , जो प्रमोद भरा व्रजधाम में है
उतनी छवि राशी कही भी नही , जितनी छवि शुन्दर श्याम में है
ससि में न सरोज सुधारस में , न ललाम लता अभी नाम में है
उतना सुख और कही भी नहीं , जितना सुख कृष्ण के नाम में है
जय राधे कृष्ण गोविन्द गोपाल ,राधे राधे..
श्री राधे
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