मेरी भव बाधा हरो श्री राधा नागर सोय
जा तनकी झाई पड़े श्याम हरित दुतीय होय
श्री राधे मेरी श्यामीनी में राधे जी की दास
जनम जनम मोहे दीजियो श्री वृंदा वनको वास
लाख बार हरी हरी कहे एक बार हरी दास
अति प्रश्न श्री लाडली सदा विपिनको वास
मेरो मन मणिक गिरवी धर्यो श्री मनमोहन के पास
प्रेम ब्याज इतनो बड़ियों की नाचू तनकी आस
जय जय श्री राधा रमन जय जय नवल किशोर,
जय कोपी चित चोर प्रभु जय जय माखन चोर,
भक्ति भक्त भगवंत गुरु चतुर नाम जपु एक
तिनके पद वंदन किये तो नासत विगन अनेक .....
{ जय जय श्री राधे }
No comments :
Post a Comment