Friday, 19 April 2013

               ॐ नमः शिवाय , ॐ नमः शिवाय

आज तक हम सभी भक्तो ने पत्थर , मिट्ठी व बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन किये है ,( जो नागदेव , त्रिसुल , ॐ , शंख व् डमरू ) ये सब अलग अलग होते है, पर आज आप ये सब एक साथ देखिये , पेड़ पर लगे डाली में
 ( शिवलिंग के साथ नागदेव , त्रिसुल , ॐ , शंख व् डमरू )
के साथ भगवान शिव के दर्शन कीजिये , ये सब एक ही साथ फल के रूप में लगते है , कहा लगते है इसका पता नही , किस पेड़ पर लगते है वो भी पता नही , हमारे पिता श्री को पता था , उन्होंने ऐसे वृक्ष के दर्शन भी किये और उनपर लगे शिवलिंग के फल भी लाये

ये चित्र किसी इन्सान के बनाये हुए नही है , और ना ही  किसी वैज्ञानिक ने खोज की है, ये प्राकर्तिक देन है जो हमें साक्षात् भगवान शिव के दर्शन करवा रहे है , ऐसे वृक्ष के दर्शन बहुत ही दुर्लब है , किसी तपश्वी को ही होते है , किसी पहुचे हुए मह्त्मा को ही होते है जो पूरी तरह से परमात्मा में लीन हो गए हो , जिनका निवास अक्षर पहाड़ोमें होता है , आज हमे भी ऐसे अद्भुत वृक्ष के बारेमें जानने को मिलता है की वृक्ष भी भगवान शिव को प्रकट करता है

 भगवान शिव के , त्रिसुल के साथ बंधा , डमरू , ॐ , और आजू बाजु दो नागदेव , बीचोबीच शिवलिंग , किसी में एक नागदेव  किसीमें पाच , आप सभी भक्त भोलेनाथ के रूप को देखिये , शिवलिंग ,ॐ ,त्रिसूल के साथ डमरू भी जरुर है !

लोग कहते है की भगवान एक मन घड़त कहानी है , भगवान नाम की चीज कोई है ही नही , कुछ लोग कहते है परमात्मा निराकार है जिनका कोई आकार नही है ,
अगर ऐसा होता तो कोई वृक्ष मन घड़त कहानी कसे बना सकता है , और परमात्मा निराकार है फिर इस वृक्ष को कैसे पता की भगवान शिव का त्रिसुल कैसा था , डमरू कैसा है , ॐ  कैसा है , शिव लिंग कैसा है , उनके शरफ गण कैसे थे एक वृक्ष भगवान को पहचान कर अपने ऊपर फल लगा सकता है तो क्या हम मनुष्य हो कर अपने ह्रदय में परमात्मा के प्रेम का पोधा नही उगा सकते..?

 { ॐ नमः शिवाय , ॐ नमः शिवाय }

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