Monday, 10 June 2013
नारद कहे एक बात प्रभूसे , जगत करे फरियाद है !!
करे पूण्य दुःख भोग रहे , यह कैसा इंसाफ है ?
करे पाप सुख पा रहे , यह कैसा इंसाफ है ?
संसार में एक आदमी पुण्यात्मा है , सदा चारी है और दुःख पा रहा है ,
तथा एक आदमी है पापात्मा है , दुराचारी है और सुख भोग रहा है - इस बातको लेकर अच्छे से अच्छे पुरुषोके भीतर भी यह शंका हो जाया करती है की इसमें ईश्वर का न्याय कहा है ?
इसका समाधान यह है की अभी पुण्यात्मा जो दुःख पा रहा है , यह पूर्व के किसी जन्म में किये हुए पाप का फल है , अभी किये हुए पूण्य का फल नही ,
ऐसे ही अभी पापात्मा जो सुख भोग रहा है यह भी किसी पूर्व के जन्म में किये हुए पूण्य का फल है अभी किये हुए पापका नही |
{ जय जय श्री राधे }
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