हे कृष्ण हम्हे यु बिछुरा के न जाओ
भगवान श्री कृष्ण जब मथुरा जाने लगे तो गोप गोपी पसु पक्षी रास्ता रोक कर खड़े होगये
और कहने लगे की हे कृष्ण आप हमे अनाथ करके कहा जा रहे हो हे प्रभु आप के जाने से
वेसे ही ये प्राण निकल जायेंगे इस से तो अच्चा है की आप रथको हमारे ऊपर से ही चलाके जाओ
फिर भी कृष्ण ना मने तो गोपिय कहने लगी की...
जा रहे हो तो जाओ कन्हिया लेकिन इतना रहेम करते जाओ
दिल्तो पहले ही तुम ले चुके हो, अबतो प्राणोको भी लेते जाओ
प्रेम विरहा में झर्जायेंगी हम, तेरे जानेसे मरजायेंगी हम
केसे दीदार कर पाएंगे हम ,युना हमको तड़पाके जाओ
प्यार के मोड़ पर मिलगये हो अगर ,उम्र भर साथ देने का वादा करो
आगये हो तो जाने की जिद्द ना करो, जा रहे हो तो आने का वादा करो
आज जाओगे जो छोर कर, क्या ना अओंगे फिर लोट कर
आज हमसे नजर फेरकर ,जाते जाते ना हमको रुलाओ
साथ प्राणों को भी लेते जाओ ...
इस तरह से गोपिय रुधन करने लगी ...
प्रभुका रथ जब मथुरा की और जाने लगा है तो गोपिय कह रही है
की देखो सखी हमारे प्यारे की रथ की ध्वजा दिखाई दे रही है ..
गोपिय बहुत विलाप करने लगी और कहती है की
रुकसत हुए तो आखं मिलाके भी नहीं गए
वो क्यों गए है ये भी बताके नही गए
रहने ना दिया उन्होंने किसी काम का हमे
और खाक में भी हम को मीलाके नही गए
हठ ठोड कु ठोड स्न्हेह्की ठोकर वोतो देअगयो देअगयो देअगयो रि
चित मेरो चुरायके चोर सखी वोतों लेगयो लेगयो लेगयो रि...
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे .....