Saturday, 21 July 2012


              हे कृष्ण हम्हे यु बिछुरा के न जाओ 

भगवान श्री कृष्ण जब मथुरा जाने लगे तो गोप गोपी पसु पक्षी रास्ता रोक कर खड़े होगये
और कहने लगे की हे कृष्ण आप हमे अनाथ करके कहा जा रहे हो हे प्रभु आप के जाने से
वेसे ही ये प्राण निकल जायेंगे इस से तो अच्चा है की आप रथको हमारे ऊपर से ही चलाके जाओ
फिर भी कृष्ण ना मने तो गोपिय कहने लगी की...

जा रहे हो तो जाओ कन्हिया लेकिन इतना रहेम करते जाओ
दिल्तो पहले ही तुम ले चुके हो, अबतो प्राणोको भी लेते जाओ

प्रेम विरहा में झर्जायेंगी हम, तेरे जानेसे मरजायेंगी  हम
केसे दीदार कर पाएंगे हम ,युना हमको तड़पाके जाओ

प्यार के मोड़ पर मिलगये हो अगर ,उम्र भर साथ देने का वादा करो
आगये हो तो जाने की जिद्द ना करो, जा रहे हो तो आने का वादा करो
आज जाओगे जो छोर कर, क्या ना अओंगे  फिर लोट कर
आज हमसे नजर फेरकर ,जाते जाते ना हमको रुलाओ
साथ प्राणों को भी लेते जाओ ...
इस तरह से गोपिय रुधन करने लगी ...

प्रभुका  रथ जब मथुरा की और जाने लगा है तो गोपिय कह रही है
की देखो सखी हमारे प्यारे की रथ की ध्वजा दिखाई दे रही है ..
गोपिय बहुत विलाप करने लगी और कहती है की

रुकसत हुए तो आखं मिलाके भी नहीं गए
वो क्यों गए है ये भी बताके नही गए
रहने ना दिया  उन्होंने किसी काम का हमे
और खाक में भी हम को मीलाके नही गए

हठ ठोड कु ठोड स्न्हेह्की ठोकर वोतो देअगयो देअगयो देअगयो रि
चित मेरो चुरायके चोर सखी वोतों लेगयो लेगयो लेगयो रि...

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे .....

Sunday, 15 July 2012

परमात्मा जो करता है वो ठीक ही करता बे ठीक कुछ भी नही 
 जैसे की हम सभी जानते है की जब्भी सोतेली माँ मी बात आती है 
तो हम केकयी का ही नाम लेते है की सोतेली माँ ने तो भगवान को भी नहीं बक्सा 
पर सही कहे तो केकयी जैसी माँ ना तो आज तक हुए है 
और नाही होंगी इस जगमे सभी यस चाहते है पर कु यस कोई नही चाहता
एक केकयी ऐसी माता थी जिसने अन गिनत बद्दुवाए गालिया सई
यहाँ तक की उनके बेटे भरत ने भी उनको कुल्टा कुलक्षणी अन्य प्रकार से उनको कोष
जबकि भगवान श्री राम तो केकयी माँ को अपने प्राणों से भी प्रिय थे ..
जब राजा दसरथ जी ने भगवान श्री राम के राज तिलक की घोषणा की और
जब ये बात सभी अयोध्या वासियों ने सुनी की राम जी हमारे राजा बनने जा रहे है
तो सभी खुसी से फुले नही समा रहे थे ..एक तरफ तो अयोध्या में ढोल नगाड़े और
गालिया चोबारे फूलोसे सजाये जा रहे थी ,और दूसरी तरफ सभी देवताओ में शोक छा गया
की ये क्या हो रहा है राजा दसरथ भगवान श्री राम के राज तिलक की तइयार कर रहे है ,
अगर भगवान श्री राम ने अपने पिताकी आज्ञा मानकर राज गद्दी पे बेठ गए तो अनर्थ होजएंगा
जिस काम के लिए नारायण ने एक सादारण नर के रूप में अवतार लिया है वो पूरा केसे होंगा ,
हमे इन राक्षसों से और अत्या चार से मुक्ति केसे मिलेंगी ?
और फिर सभी देवताओ ने सोच बीचार के कहा की अब एसा क्या उपाय किया जाये
जिस से भगवान श्री राम ,राज गद्दी को त्यग कर वन को चले जाये,
फिर सभी देवताओ ने निरणय लिया की ये काम माता सरस्वती कर सकती है
सभी ने नारद जी को आदेस दिया की माँ सरसती जी को बुलाया जाये ,कुछी ही
समय में माँ सरसती देवताओ के बिच उपस्तित हुई ,माँ सरसती ने सभी देवताओ को
प्रणाम कर के कहा की कहिये आज आप सभी देवताओ ने मुझे केसे याद किया
जब वहा सभी देवताओ ने कहा की माता ऐसा कुछ कीजिये की राम ,राज गद्दी
को छोड़ वनको चले जाये ,जब ये बात माँ सरस्वती ने सुनी तो उनको बड़ा ही दुःख हुआ
और एक बार तो मान करदिया की ये काम में नही करसकती ,
क्या राम वनके योग्य है ??जब सभी देवताओ ने विष्तार पूर्वक कहा की
केकयी के २ वरदान भी तो बाकि है , तो माता समझ गयी और देवताओ
की आज्ञा का पानल करते हुए ,अयोध्या में एक कुबरा नाम की दासी के मन मस्तिक में
कुबुधि के रूप में छा गयी और दासी कुबरा ,और केकयी ने वोही कहा जो
माँ सरस्वती चाहती माँ ने केकयी की बुधि पूरी तरह से बिगाड़ दीइसलिए जो होता है, वह ठीक ही होता है, बेठीक होता ही नहीं ...
 { जय जय श्री सीताराम }
 

हम्हे श्याम का ही दीदार चाहिए 

 श्याम की कोई खबर लता नही

बे खबर हमसे रहा जाता नही


जी चाहता है मेरे श्याम में पंछी बनू 

पंख बिना उड़ा जाता नही 
 

जी चाहता है मेरे श्याम तेरी जोगन बनू, 

दरबदर महासे फिरा जाता नहीं


जी चाहता है मेरे श्याम तुझे ख़त लिखू ,

पर तेरे दर का पता कोई बताता नही


श्याम की कोई खबर लाता नहीं, 

बेखबर हमसे रहा जाता नहीं ...
                                

हमे तो श्यामा का ही दीदार चाहिए

उन्ही के इश्क का बीमार चाहिए .....
                                     



{ जय जय श्री राधे }
          कर्मो का फल तो हमे ही भोगना पड़ता है
 
एक बार दो व्यक्ति राह चलते -चलते बाते कर रहे थे की महाराज कथा में कहते है
"की व्यक्ति चाहे कितना भी पाप करे ,एक बार गंगामे डुबकी लगाने से सारे पाप धुल्जाते है,"
ये बात किसी दुसरे संतने सुनली और गंगा मईया के पास गए
संत ने पूछा की "गंगा मईया क्या ये सच है की जो मनुष्य पाप करके आप में डुबकी लगता है
आप उनके सारे पाप धोदेती है और उनके पाप आप अपने पास रखती है ?,
गंगा मईया ने कहा की में भला किसी का पाप अपने पास क्यों रखूंगी मै तो बहती रहती हु
ओर, सागर में जा मिलती हु ' और सारे पाप सागर में चले जाते है" ,
सागर से पूछा की क्या सभी मनुष्य के पाप आप अपने पास रखते है ?
सागर ने कहा 'कभी नही' , मेरे अन्दर तो ऐसा तूफान उठता है की जो जिसका पाप होता है
उसपे बरस जाता है ,
कहने का अभिपर्याय है की पाप किसी का बाप नहीं है जो हम्हे बक्श देंगा इस लिए ....
किसी गरीब निर्दोस व्यक्ति को सताना पाप है
किसी भी लाचार बेबस जिव की हत्य करना पाप है
छाल कपट से किसी का धन हड़पना पाप है
पाप और पुन्य का संबंद हमारे सरीर से नही आत्मासे है
चाहे हम कहिभी जाये पाप हमारा पीछा नही छोड़ता
और पुन्य हमारा साथ नही छोड़ता
न जाने कब इश्वर के घरका बुलावा आजाये और इस सरीर को त्याग कर जाना पड़े इस लिए
भूलकेभी इस जीव को पाप और कु कर्मो में लिप्त ना होने दे..परमात्मा सबको सद्बुधी दे
                           {जय जय श्री राधे}