एक बार दो व्यक्ति राह चलते -चलते बाते कर रहे थे की महाराज कथा में कहते है
"की व्यक्ति चाहे कितना भी पाप करे ,एक बार गंगामे डुबकी लगाने से सारे पाप धुल्जाते है,"
ये बात किसी दुसरे संतने सुनली और गंगा मईया के पास गए
संत ने पूछा की "गंगा मईया क्या ये सच है की जो मनुष्य पाप करके आप में डुबकी लगता है
आप उनके सारे पाप धोदेती है और उनके पाप आप अपने पास रखती है ?,
गंगा मईया ने कहा की में भला किसी का पाप अपने पास क्यों रखूंगी मै तो बहती रहती हु
ओर, सागर में जा मिलती हु ' और सारे पाप सागर में चले जाते है" ,
सागर से पूछा की क्या सभी मनुष्य के पाप आप अपने पास रखते है ?
सागर ने कहा 'कभी नही' , मेरे अन्दर तो ऐसा तूफान उठता है की जो जिसका पाप होता है
उसपे बरस जाता है ,
कहने का अभिपर्याय है की पाप किसी का बाप नहीं है जो हम्हे बक्श देंगा इस लिए ....
किसी गरीब निर्दोस व्यक्ति को सताना पाप है
किसी भी लाचार बेबस जिव की हत्य करना पाप है
छाल कपट से किसी का धन हड़पना पाप है
पाप और पुन्य का संबंद हमारे सरीर से नही आत्मासे है
चाहे हम कहिभी जाये पाप हमारा पीछा नही छोड़ता
और पुन्य हमारा साथ नही छोड़ता
न जाने कब इश्वर के घरका बुलावा आजाये और इस सरीर को त्याग कर जाना पड़े इस लिए
भूलकेभी इस जीव को पाप और कु कर्मो में लिप्त ना होने दे..परमात्मा सबको सद्बुधी दे
{जय जय श्री राधे}
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