हरे कृष्ण सदा कहते कहते , मन चाहे जहा वहा घुमा करू मद मोहन रूप का पीकर के , उसमे उन मत हो झुमा करू
अति सुन्दर वेस व्रजेस तेरा , रमा रोम ही रोम में रुमा करू मन मंदिर में बिठला के तुझे , पग तेरे निरंतर चूमा करू जय श्री जी दया मई राधे , में तेरी शरण श्री जी तेरी शरण {जय जय श्री राधे }
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