Monday, 5 November 2012


हरे कृष्ण सदा कहते कहते , मन चाहे जहा वहा घुमा करू
मद मोहन रूप का पीकर के , उसमे उन मत हो  झुमा करू
अति सुन्दर वेस व्रजेस तेरा , रमा रोम ही रोम में रुमा करू
मन मंदिर में बिठला के  तुझे , पग तेरे निरंतर चूमा करू
जय श्री जी दया मई राधे , में तेरी शरण श्री जी तेरी शरण
              {
जय जय श्री राधे }

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