Sunday, 4 November 2012

 गोपियाँ व श्री कृष्णा का मिलन ही आत्मा व परमात्मा का मिलन है 

श्याम सुन्दर की बांसुरी सुनकर गोपिय ठाकुर जी के पास पहुची तो , ठाकुर जी ने थोड़ी देरतो बांसुरी बजाई , और बाद में वेणु नाद रोक कर गोपियाँ का स्वागत करने लगे,
{ स्वागत्म्बो महा भागो } हे महा भागिनी भग्य शालिनी गोपियाँ तुम्हारा स्वागत है, कहो में तुम्हारी प्रीति के लिए क्या करू ? गोपियाँ को ये दो बाते तो बहुत अच्छी लगी , की श्याम सुनदर हमारी कुसल पूछ रहे है ,हम्हारे मनोरथ पूरा करने की भी चिंता कर रहे है ,

 
 पर पीछे से दो बातो ने सब गड़बड़ कर दिया  , ठाकुर जी बोले आरी गोपियाँ कहो इतनी रात को कैसे आना हुआ , व्रज में सब कुसल तो है न ? तुम्हा इस समय यहा आने का कारण क्या है ? कोपियाँ से कारण पूछा तो गोपियाँ के अरमानो पर तो जैसे कोई पाला पड़ गया हो..जैसे आप को घर बुला कर कहे  की कहो क्यों आये हो ,तो इस से बढ़कर और क्या अपमान होगा ?

गोपियाँ कहती है, हे श्याम सुन्दर क्या आप ने बांसुरी बजा कर हमे नही बुलाया हम जीस संसार को भुला कर तुम्हारे चरणों का आश्रय करने आई है , और तुम हमसे उसी संसार की कुसलता पूछ रहे है ,


हे श्याम सुन्दर एक तरफ तो तुम हमसे कहते हो की सबकुछ छोड़ कर मेरे पास आओ , और जब हम सबकुछ भुला कर तुम्हारे  पास आई है , तो अब तुम उसी संसार की यादी दिलाते हो , कहते हो की क्यों आई ? तुम हमसे कारण  पूछ ते हो ?  तुमारी बांसुरी सुनकर ह्म्हारा चित तो घरके धंदे में गलत नही है , हे श्याम सुन्दर  क्या तुमने हमे बांसुरी बजा कर नही बुलाया ? पहले तो बांसुरी बजा कर हमारा मन हरण करते हो... और फिर कारण  पूछते हो ? 

"ठाकुर जी बोले अरि गोपियाँ  मेतो तुमसे हसी कर रहा था , ये देखने के लिए की तुम आ तो गयी हो , पर कही तुम्हारा मन संसार में तो रमा हुआ नही है ,अगर संसार में रमा हुआ होगा, तो तुम मुझसे अपने सास ससुर पति पुत्र की कुसलता कहोगी .ये देखने  के लिए की कही तुम्हारा  मन संसार में तो रमा हुआ नही है ....आओ _आओ गोपियाँ में कोई तुमको थोड़ी छोड़ सकता हु ,आओ नृत्य  करे ,
और हर गोपी के साथ एक एक श्याम सुन्दर नृत्य कर रहे है .....
      {  जय जय श्री राधे }


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