बाल कृष्ण लाल पधारे है ! ये खबर पहुंची कैलाशपर्वत पर शंकर भगवान के पास भोले बाबा को ठाकुर जी के दर्शन करने की चटपटी लगी !!
शंकर भगवान ने झट आगाम्बर बागाम्बर पहन , सर्फ़ गणों को अपने मस्तक पर मुकुट में सजा कर गले में नरमुंडो की माला डाल कर हाथ में त्रिसुल डमरू ले कर ठाकुरजी के दर्शन के लिए जाने लगे , पार्वती ने टोका प्रभु ! कहा जा रहे हो ?
बोले में नन्द गाँव जा रहा हूँ , बाला कृष्ण लाल के दर्शन करने को !
पार्वती जी बोली - " प्रभु ! बाल कृष्ण लाल के दर्शन करने जा रहे हो और इस वेश वुषा में ? गले में सर्फ़ डाल कर क्या सपेरे बन कर जाओगे ?
हाथ में त्रिसुल , डमरू , ले कर क्या मदारी बनकर जाओगे ?
इस वेश वुशा में बाल कृष्ण का दर्शन तो छोडो बाबा आप को कोई गाँव में भी नही घुसने देगा ! "
शंकर भगवान बोले - "रे बस कर भाग्यवान जो मुहमें आवे बोले जा रही है! कैसे जाऊ ?
पार्वती जी बोली बाबा ! इस आगम्बर बागम्बर को छोडो , इस सर्प-गणो को छोड़ो , मैं जो वस्त्र दूँ वो पहनो !"
शंकर भगवान को बाल कृष्ण लाल के दर्शनों की चटपटी लगी हुई थी सो बोले- "जो तू कहे वो पहनने को तैयार हूँ ,दर्शन होने चाहिए ।
पार्वती जी ने शंकर भगवान को पीली धोती दी ।
अब शंकर भगवान ने अपने शादी में भी धोती नहीं पहनी तो धोती बड़ी अटपटी सी लगी पर क्या करे.. अब जैसे ही शंकर भगवान रवाना हुए तो सर्प गण विनती करने लगे की - "हे भोले नाथ ! आज अप मह को छोड़ कर ठाकुर के दर्शन करने अकेले ही जा रहे हो ? बाबा ! कुछ पूछे आप से ? " हाँ पूछो"
सर्फ गण " बाबा ! जब भस्मासुर आप को भस्म करने आया तब हम कहाँ थे ?"शंकर भगवान बोले - "तब तुम मेरे गले में थे !"
अच्छा बाबा ! - " जब आप ने जहर पिया तब हम कहाँ थे ?"
बोले- "तब तुम मेरे गले में थे"
बोले बाबा ! -" जब रावण ने कैलाश पर्वत उठाया तब हम कहाँ थे ?"
शंकर - "तब तुम मेरे गले में थे"
बाबा ! - "जब आप का विवाह हुआ तब हम कहाँ थे ?"
शंकर - "तब तुम मेरे गले में थे "
सर्फ गण बोले - "भगवान जब हमने आप का किसी परिस्थिती में साथ नही छोड़ा तो आज आप हमे छोड़ कर क्यों जा रहे है "?
शंकर भगवान बोले - "बात तो तुम्हारी सही है जब तुमने कभी मेरा साथ नही छोड़ा तो में तुम्हे क्यों छोडू "
शंकर भगवान ने तो फिर से वही वेश धारण कर लिया और गले में सर्प गण को कर जटाओ को खोल कर वृन्दावन पहुचे !
ग्वालियो के बालको ने ऐसा जोगी कभी देखा नही तो ग्वालियो के छोटे-छोटे बालक शंकर भगवान की जटा खीचने लगे ।
शंकर भगवान बोले - " रे !! मैं शंकर भगवान हूँ । तुम मेरी जटा खिंच रहे हो ?"
शंकर भगवान् बोले ये छोरे बड़े उत्पाती हैं ऐसे नही मानेंगे तो एक नाग को पीछे , एक आगे और दो आजू बाजू लगा दिया ।
अब छोरे डरने लगे तो पास में नही आते ।
जब नन्द बाबा के घर पहुचे और मैया को आवाज लगाने लगे ।
"मैया आरि ऒ ऒ ऒ.. मैया ।"
मैया बोली- "रे कौन चिल्ला रहा है? कौन मुझे आवाज लगा रहा है ?"
सखी ने कहा - "पता करके आयूं ।"
मैया बोली -" हाँ । देख कौन है। "
बाहर आकर देखा तो बोली- "मैया बाहर भयंकर जोगी आया "
मैया बोली- "जोगी ! कौन हो ? क्या चाहिए? क्यों आये हो ? "
भगवान बोले- " मैया मुझे जो चाहिए वो तु ही दे सके है , मैया!! "
"..क्या चाहिए बाबा तुम को?
कुछ भिक्षा लाऊ?
कुछ मुद्रा लाऊ?
बोलो ! कुछ और लाऊ ??
शंकर भगवान - " मैया मुझे तो तेरे लाला के दर्शन करने है"
मैया - "हैं ?? लाला के दर्शन करवाऊ तेरे को ? अरे जोगी जब तुझे देख मैं ही डर गयी ,तो मेरा लाला तो और भी छोटा है, वो कितना डर जायेगा "
शंकर भगवान - " मैया बड़ी दूर से आया हूँ । तेरे लाला के दर्शनों की बड़ी आशा ले कर आया हूँ, बड़ा वृद्ध जोगी हूँ, तेरे लाला को खूब आशीर्वाद दूंगा, तेरे लाला का जल्दी ब्यांह हो जायेगा। "
मैया बोली- "मेरे यहाँ बड़े-बड़े महात्मा आते हैं। मैं किसी और का आशीर्वाद दिला दुंगी पर तेरे जैसे भयंकर जोगी को तो मैं दर्शन हरगिज नही कराउ । शंकर भगवान बोले- "देख मैया अभी तो मैं विनती कर रहा हूँ , फिर मुझे क्रोध आ जायेगा "
" क्रोध आ जायेगा तो क्या कर लेगा "
" क्रोध आ जायेगा तो तेरे घर के आगे धुनी रमाउङ्गा, भूखा प्यासा रहूँगा " मैया बोली - " चाहे धुनी रमा चाहे धुना रमा, भूखा मर चाहे प्यासा मर मैं तो मेरे लाला का दर्शन नहीं कराउंगी! नहीं कराउंगी ! नहीं कराउंगी !
शंकर भगवान बोले- "मैया मैं भी जोगी बड़ा हटी हूँ । दर्शन करने आया हूँ तो दर्शन करके जाऊँगा! करके जाऊँगा! करके जाऊँगा! "
अब दोनों में ठण गयी।
इधर स्त्री हट उधर जोगी हट ।
मैया बोली- "चल गोपी अन्दर चल बैठा रहने दे "
मैया भीतर आ गयी ।
अब शंकर भगवान बाहर धुनी रमाते पर कुछ होता नही , शंकर भगवान सोचते की अब तो विनती ही काम आयेगी । भगवान बोले लाला ये तेरी मैया को तो पता नही तेरा मेरा क्या सम्बन्ध है , पर तू तो जाने है ना की में तेरे लिए आया , तू तो महरबानी कर , ठाकुर जी बोले बाबा आप बड़े जल्दी आये कुछ समय रुक कर आते तो में दोड़ कर आप की गोदी में आ जाता पर अभी तो में खुद मेरी माँ के वश में हु, मेरे रोये बिना तो मेरा कोई काम नही होता ,भूख लगे तो रोऊँ प्यास लगे तो रोऊँ ,
शंकर भगवान बोले लाला भले ही रो पर मुझे तो दर्शन दे ,ठाकुर जी बोले तो फिर रोना चालू करू ?
बोले ,हाँ , अब ठाकुर जी रोने लगे ,मैया दूध पिलावे ,खिलोने से खिलावे सब प्रकार से खीला पिला के देख लिया पर ठाकुर जी तो चुप ही नही होवे ,
मैया ने सोचा लाला को नजर लग गयी ,मैया " ला रे गोपी जरा राइ डॉन ले कर आ , लाला की नजर उतारू ,गोपी राई डॉन लायी ,
मैया नजर उतर रही है ,आक्नी-डाकनी, भूतनी-पिचासनि, आजू की बाजू की ,उपरकी निचे की , आड़ोसन की पाड़ोसन की,जिसकी भी नजर लगी उतर जावे पर लाला तो फिर भी रोवे ।
मैया "आखिर क्या हुए है इस छोरे को ...
गोपी बोली मैया मुझे तोलगे लाला को बड़ी भारी नजर लगी , ये अपने से उतरने वाली नही ,उतने में बाहर से एक गोपी आई और बोली मैया मुझे तो लगे है मेने देखा वो जोगी कुछ मन्त्र बोल रहा था , उस जोगी के होठ हिल रहे थे बाहर वो जोगी मन्त्र बोले ओर भीतर तेरा लाला रोता है ,
शंकर भगवान पर सीधा सीधा इल्जाम.....
मैया बोली तो अब क्या करू ,
बोले उस जोगी को बुला के लाऊं ,बोले हां जा ,
गोपी गयी बोली बाबा कुछ नजर वजर्र उतारनी आती है ? ,
बाबा बोले नजर ? ऐसे उतारू ऐसे उतारू की फिर कभी नजर ही न लगे ,गोपी बोली "चल बाबा अंदर चल ?"
शंकर भगवान ने मना कर दिया की में घरमे तो नही चालू ,
बोले "क्यों?" ,बोले यशोदा मैया का , घर पुरे दूध दही से भरा है और मेरे गले में सब दूध के ही ग्राहक है अंदर गया और सब निकल -निकल कर चले गये तो इनको कहाँ खोजता फिरूंगा ?
मैया को बोल हम जोगी है किसी गृहशती के घरमे नही जाते ,मैया को जा कर बोल काम है तो तू बाहर आ ,
गोपी बोली मैया जोगी बोले माया को काम है खुद बाहर आए
,मैया लाला को पीताम्बर में ढक कर लायी ,बोले "बाबा नजर उतार"
बाबा बोले "मैया दूर से मेरा मन्त्र काम नही करता तेरे लाला को मेरे हाथ में दे तो मेरा मन्त्र काम करे
ठाकुर जी और जोर-जोर से रोने लगे की दे दे ! दे दे!
लाला के रुदन का स्वर तेज देख कर मैया बोली अरे ले बाबा ले
जैसे ही ठाकुर जी शंकर भगवान के हाथ में गये रोना एक दम चुप !
मैया बोली " रे जोगी बड़ा पहुच वान है छोरा कब से रो रहा था , और जोगी की गोदी में जाते ही चुप हो गया
मैया बोली बाबा अब मेरे लाला को कभी नजर तो नही लगेगी न?
बाबा बोले "मैया एक तो तेरा छोरा काला, नजर लगने की सबसे पहली संभाना तो ये खुद है और दूसरा तेरे लाला इतना सुनदर है की जो एक बार इसको देख लेगा फिर उसको सब तरफ तेरा लाला ही नजर आएगा ......
उतने में बाबा के गले के सर्प लाला के चरणों को स्पर्श करने लगे ,
मैया बोली अरे बाबा तेरे गले का साप मेरे लाला के पेरो से लिपट रहे है ,
शंकर भगवान - " मैया ये लिपट नही रहे है ये विनती कर रहे है की प्रभु आप अपने इन्ही चरणों से हमारे मित्र का भी उधार करना .... ये कालिया नाग की बात कर रहे है ,
मैया बोली बाबा आप को हाथ - वात भी देखना आता है ?
बाबा बोले किसका ?
बोले मेरे लाला का ।
बाबा - हाँ हाँ ..हाथ देख रहे है । बोले "आरि मैया तेरा लाला तो बहुत बड़ा राजा बनेगा
"हैं ?? "
"हाँ , आरि मैया तेरा लाला तो, सोने की नगरी का राजा बनेगा "
"हैं?"
"हाँ आरि मैया तेरा लाला तो धर्म सम्राट बनेगा"
"अच्छा ??"
"हाँ , आरि मैया तेरा लाला तो सब राजाओं का गुरु बनेगा "
मैया बोली " अरे बाबा कुछ काम की तो बात तो बोलो"
शंकर भगवान बोले मैया तेरा लाला राजा बनेगा ,धर्म सम्राट बनेगा ,सब राजाओं का गुरु बनेगा ,और क्या काम की बात होगी?
मैया बोली "राजा बनेगा तो ये सम्राट बनेगा तो ये गुरु बनेगा तो ये ,मेरे काम ये नही आने वाला , मुझे तो ये बताओ की मेरे लाला का बियांह कब होगा बहू कब आएगी मेरे काम तो बहु आईगी, ये नही आएगा
बाबा क्या बताऊ मुझसे रसोई नही बनती
मैं रशोई बनाती वो धोक्नी ले कर फु-फु हवा करती हूँ , तो सब धुआ आख में चला जाता है , क्या बताऊ बाबा बहु आ जाये तो थोडा काम हल्का हो जाये , शंकर भगवान बोले मैया बहुओ का तो तेरे ठाठ रहेगा ,
बोले क्यों दो बहुएं आयेगी?
बोले " नही "
"तो कितनी आएगी ,?
शंकर भगवान बोले मैया तेरे लाला के हाथ में बहुओ की रेखा इतनी लम्बी है की हाथ में ही नही आ रही ठेठ बाजु तक जा रही है"
"हे!! इतनी कितनी बहुएं आएगी?"
बोले मैया सोलह हजार एक सो आठ बहुए आएगी ,
मैया सोच में पड गयी
बाबा बोले मैया तू कहा खो गयी
मैया बोली में सोच रही हु की अगर दिवाली के मोके पर सब एक साथ मेरे पाव पड़ने आगयी तो मेरा क्या हाल होगा
शंकर भगवान बोले मैया तू चिंता मत कर तेरे लाला सब देख लेगा तू तो तेरे इस रत्न को संभाल ,क्या रत्न है मैया क्या बताऊ
ठाकुर जी बोले बाबा कुछ मत बोलो आप को दर्शन दे दिया इसका मतलब ये नही की आप मेरी मैया के सामने मेरी पोल खोलो , बाबा दर्शन करके बहुत प्रसन्न हो कर चले...............जय श्री राधे
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