Friday, 18 October 2013


श्री बाल कृष्ण लाल के जन्म के छट्टी दिन ही कंसके आदेश से एक राक्षसी पूतना ने अपना सुन्दर वेश धारणं कर भगवान को स्थन पान से विष पिला ने आ गयी।

पूतना को देख कर भगवान श्री कृष्ण ने अपने नेत्र बंद कर लिए इस पर भक्त कवियोने अनेको कारण बताये है , भगवान ने पूतना को देख कर अपने वे नेत्र बंद क्यों कर लिए  जिनमे कुछ ये है की ,

अविद्ध्य ही पूतना है भगवान श्री कृष्ण ने सोचा की मेरी द्रष्टि के सामने अविद्ध्य टिक नही सकती फिर लीला कैसे होगी इसलिए नेत्र बंद कर लिए।

 फिर भगवान ने सोचा की ये पूतना बालघातनी  है ये पवित्र बालको को भी ले जाती है ऐसे कृत्य करने वाली का मुह नही देखना चाहिए इस लिए नेत्र बंद कर लिया।

फिर भगवान ने सोचा की इस जन्म में तो इसने कुछ साधन संभव किये नही  है पूर्व जन्म में कुछ किया हो मानों पुतना के पूर्व - पूर्व जन्मो के साधन देखने के लिए ही श्री कृष्ण ने नेत्र बंद कर लिए |

तब भगवान को ध्यान में आया की ये पूर्व जन्म में राज बलि की बहिन रत्नमाला थी जब में अपना छोटा सा बालक बन कर वामन बन कर बलि के द्वार पर गया तब उसने मुझे देख कर मन ही मन विचार किया की ऐसा सुन्दर बालक मुझे हो जाये तो मैं इनको गोदी में ले कर दूध पुलाऊ , भगवान ने मन ही मन आशीर्वाद दे दिया की तधास्तु ऐसा ही हो।

फिर भगवान के उधर में निवास करने वाले असख्य कोटि ब्रह्मांडो के जिव ये जान कर घबरा गये की श्याम सुन्दर पूतना के स्थन में लगा हला हला विष पिने जा रहे है अतः मानो उन्हें समझाने के लिए ही श्री कृष्ण ने नेत्र बंद कर लिए

श्री कृष्ण शिशु ने विचार किया की मैं गोकुल  में ये सोच कर आया था की माखन मिश्री खाऊंगा सो छट्टी के दिन ही विष पिने का अवसर आ गया इसलिए आँख बंद कर के मानो शंकर जी का ध्यान किया की आप आ कर अपना विष पान कीजिये और मैं दूध पिऊंगा।

श्री कृष्ण ने विचार किया  की इसने बहार से तो माता  का रूप धारण कर रखा है परन्तु ह्रदय में अत्यंत क्रूरता भरी हुई है ऐसी स्त्री का मुह न देखना ही उचित है इसलिए नेत्र बंद कर लिए।

फिर श्री कृष्ण ने सोचा की नेत्रों का मिलाप होने से प्रीती हो जाती है और प्रीती हो जाने के बात तो प्रेमीजन का वद्ध करना पाप है इसलिए नेत्र बंद कर लिए

छोटे बालको का स्वाभाव है की अपनी माँ के सामने खूब खेलते है पर किसी अपरिचित को देख कर डर  जाते है और नेत्र मुंड लेते है एपरिचित पूतना को देख कर इसलिए बाल लीला बिहारी भगवान ने नेत्र बंद कर लिए ये उनकी बाल लीला का मधुर्य है। 

     { जय जय श्री राधे }

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