Thursday, 22 March 2012

 

                                     गोपाल सावरिया मेरे
तेरी  प्रीत  ने  हमको  क्या  न  दिखाया,
बदनाम  कर  के  जगत  में  हंसाया ,
खिची आई  बेखुद  न सोचा  समझा
लबों  से  लगा  बांसुरी  जब  बुलाया
अदाओं  भरी  टेढ़ी  चितवन  जो  देखी
तेरी  प्रीत  ने  हमको  क्या  न  दिखाया,
बदनाम  कर  के  जगत  में  हंसाया ,
खिची आई  बेखुद  न सोचा  समझा
लबों  से  लगा  बांसुरी  जब  बुलाया
अदाओं  भरी  टेढ़ी  चितवन  जो  देखी
दिल-ओ-जान  लुटा  जब ज़रा  मुस्कुराया
सुना  भोली  भली  वो  प्रीती  की  बातें
कहा  चल  दिए  जाने  क्या दिल मई  आया
तेरी खोज  में जिस्म -ओ-जान राह  भूली
पत्ता  पत्ता में ढूंडा  पता  कुछ  न पाया
सब  रिश्ते  दिल-ओ-जान तेरे  हाथ  बेचे
बहुत  कुछ गवाया  न कुछ हाथ आया
मजा  खूब  ये  श्याम वह  तेरी उल्फत
न घर  का रखा और  न अपना  बनाया
गोपाल सावरियां मेरे... नन्दलाल सावरिया मेरे
दिल-ओ-जान  लुटा  जब ज़रा  मुस्कुराया
सुना  भोली  भली  वो  प्रीती  की  बातें
कहा  चल  दिए  जाने  क्या दिल मई  आया
तेरी खोज  में जिस्म -ओ-जान राह  भूली
पत्ता  पत्ता में ढूंडा  पता  कुछ  न पाया
सब  रिश्ते  दिल-ओ-जान तेरे  हाथ  बेचे
बहुत  कुछ गवाया  न कुछ हाथ आया
मजा  खूब  ये  श्याम वह  तेरी उल्फत
न घर  का रखा और  न अपना  बनाया
गोपाल सावरियां मेरे... नन्दलाल सावरिया मेरे
बहुत  कुछ गवाया  न कुछ हाथ आया
मजा  खूब  ये  श्याम वह  तेरी उल्फत
न घर  का रखा और  न अपना  बनाया
    { जय जय श्री राधे }



गो

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