Thursday, 16 August 2012


एक भक्त बिहारी जी से प्राथना कर रहा है 
की हे बिहारी तुम मुझ पे भी कुछ ऐसी कृपा कर 

बिहारी ब्रजमे घर मेरा बसालोगे तो क्या होगा
कृपा करके जो व्रन्दावन बुलालोगे तो क्या होगा

कभी तुम सामने आते , कभी फिर दूर हो जाते
हमारे बीचका पर्दा हटा दोगे तो क्या होगा

सुना है तुमने वृन्दावन में दावानल बुझाया था
मेरी विरहा की अग्नि को बुझादोगे तो क्या होगा

तेरा दीदार पाने को तरसती है मेरी नजरे
अगर दासी को चर्णो से लगालोगे तो क्या होगा

तुम अपने होटो की बंसी सुनालोगे तो क्या होगा
बिहारी ब्रजमे में घर मेरा बसालोगे तो क्या होगा
कृपा करके जो व्रन्दावन बुलालोगे तो क्या होगा
हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण -कृष्ण हरे हरे....

Friday, 10 August 2012

संग न करो किसी राजा का ना जाने कब रुलादे 
संग करो हरी भक्त का  ना जाने कब हरी से मिलादे ...
                             
                        कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये 

नटवर नन्द किशोर , बसों मेरे मन में तुम चित चोर 
रोम रोम में तुम बस जाओ , रखोना खली ठोर
ऐसी प्रीत जगा मेरे मन मे , चित ना लगे कही और 
जिस नयनन में तुम बस जाओ , दूजा ना बसे कोई और 
चित भी चुराता मन भी चुराता तू ही तो है वो चोर ??
ऐसा जादू चला मन मोहन ,तुही  दिखे चाहू और
नटवर नन्द किशोर ,बसों मेरे मन में तुम चित चोर .....
      { जय जय श्री राधे }

Tuesday, 7 August 2012

       सीता मईया का तो हरण हुआ ही नही था...

कुछ लोग कहते है भगवान श्री राम तो भगवान थे
वो अंतरयामी थे फिर उनकी पत्नी सीता का हरण
रावण ने किया तो राम जी ने रोका क्यों नही
वोतो सब कुछ जानने वाले थे फिर ऐसा क्यों हुआ .....

सच तो ये है की रावण सीता मईया की छाया तक को भी छू नही पाया , अगर सीता मईया को छू लेता तो रावण वही भस्म हो जाता |
जो स्वयम सीता मईया थी वो तो पहले ही अग्नि में समां गयी थी
भगवान श्री राम ने सीता मईया से कहा " हे प्रिये ,हे सुन्दर पतिव्रता धर्म का पालन करने वाली सुशीले सुनो , अब में कुछ मनुए मनोहर लीला करूँगा इसलिए जब तक में राक्षसो का नाश करूँ , तब तक तुम अग्नि में निवास करो | श्री राम जी ने ज्योही सब समझा कर कहा त्यों ही श्री सीता मईया ने प्रभु के चरणों को ह्रदय में धर कर अग्नि में समां गयी और फिर सीता मईया ने अपनी ही छाया मूर्ति वहां रख दी , जो उनके जैसी ही शील स्वभाव और रूप वाली तथा वेसे ही विनम्र थी |
भगवान श्री राम ने रावण के भाई खरदुसण को तो पहले ही मार डाला था | जब रावण ने खरदुसण के युद्ध में मारे जाने की खबर सुनी तो रावण को रात भर सो नही पाया | वह मन ही मन विचार करने लगा की देवता मनुष्य असुर नाग और पक्षियों में कोई ऐसा नही जो मेरे सेवक को भी पा सके खर्दुष्ण तो मेरे ही समान बलवान था उन्हें भगवान के सिवा और कौन मार सकता है और सोच ने लगा की देवताओ को आनंद देनेवाले और प्रथ्वी का भार हरण करनेवाले भगवान ने ही यदि अवतार लिया है तो में जाकर उनसे हट पूर्वक वैर करूँगा और प्रभुका बाण आघात से प्राण छोड़ कर भवसागर से तर जाऊँगा इस तामस शरीर से भजन तो होगा नहीं.....रावण जब छवि रूपी सीता मईया का हरण करने गया तो पहले तो मुनि के वेस में आया और फिर बहार से छल कपट करता हुआ जब उस छवि रूपी सीता मैया का हरण करने से पहले अपने जीवन को धन्य मानते हुए मन ही मन सीता मईया के चरणों में प्रणाम किया ...और फिर श्री राम जी ने रावण से युद्ध करके लंका पर जीत पाई तब लक्ष्मण जी से श्री राम जी ने कहा की सीता अग्नि परीक्षा दे | जब सीता जी की अग्नि परीक्षा हुई तो .. उस अग्नि में सीता मईया की छवि थी वो जल गयी और सीता मईया जो अग्नि में निवास कर रही थी वो बाहर आ गई ..इस बात से लक्ष्मण जी को बहुत दुःख हुआ की क्या प्रभु को माता पर विश्वास नही था जो माता की अग्नि परीक्षा ली, ऐसा राम जी ने क्यों किया ??क्यों की अग्नि परीक्षा नहीं होती तो जो सीता मईया अग्नि में निवास क़र रही थी उनको भगवन बार केसे लाते.. भगवान की इन लीलाओं से लक्ष्मण जी अंजान थे जो लक्ष्मण जी नारायण के रात दिन पास में रहने के बावजुद भी उनकी लीलाओं को नही जान पाए तो हम भला उस परमात्मा की रची रचना को कैसे जान पाएंगे इसलिए भगवान की लीलाओं पे कोई शंका मत कीजिये उनकी हर रचना को आदरपूर्वक स्वीकार कीजिये..जय सिया राम..

भगवान के नाम से कोई तेर सकता है भगवान  जिस को फेंक दे वो नही.....


एक बार भगवान श्री राम समुन्द्र के किनारे खड़े सोच रहे थे की जब मेरे नाम से पत्थर तेरते है तो में खुद अपने हाथो से एक पत्थर फेक कर देखू मेरे हाथ लगेंगे तो सायद तेर जाये भगवान ने पत्थर उठाया और चुपके से समुन्द्र में जेसे ही फेका, और वो डूब गया राम जी इधर उधर देख ने लगे की किसी ने देखा तो नही ,और तो कोई नही थे पीछे खड़े हनमान जी देख रहे थे और हंस कर बोले प्रभु ये आप क्या कर रहे हो ये पत्थर फेक रहे हो ,तो राम जी बोले हा हनुमान में देखना चाहता था की जब मेरे नाम से पत्थर तेरते है तो में फेकुंगा तो सायद वो फिरभी तेर जाये ,हनुमान जी झट चरणों में घिर कर बोले प्रभु आप के नाम से कोई तेर सकता है जिस की जीवा पर आप का नाम है वो तेर सकता है आप जिसको फेंक दो वो भला केसे तेरे सकता है

कहने का तातप्राय है, ये राम नाम तो नौका की तरह है , नाम चाहे कोई भी हो चाहे राम कहो या राधा कृष्ण कोई भी आप के ईस्ट देव हो हर नाम उस परमात्मा तक पहुचता है...

इस लिए किसी संत ने ठीक ही कहा है
बेकार वो मुख है जो रहे व्यर्थ बातो में
मुख वो है जो हरिनाम का सुमिरन किया करे ...जय श्री राम