Monday, 29 October 2012

आज के ही दिन  श्री कृष्णा ने गोपिय को रास के लिए आमन्त्रित किया था....

आज के दिन ही चंद्रमा अपने सौंदर्य के चरम पर होता है। मान्यता है कि इस रात्रि को चांदनी के साथ अमृत वर्षा होती है
सायद आप सभी जानते ही होंगे की आज के दिन चंद्रमा ने अमृत क्यों बरसाया ? क्यों की सर्द पूर्णिमा की रात सबसे पवित्र रात है , हजारो साल से परमात्मा के प्रेम की प्यासी उन आत्मा और परमात्मा का मिलन हुवा , भगवान श्री कृष्णा ने गोपिय के साथ रास लीला की थी,वो रास इतना पवित्र था की देवताओ ने अमृत की बरसा की..

इस रास में कई लोग देह को जोड़ लेते है , की भगवान ने रास के माध्यम से भोग किया  ,जो लोग  मानते है की कृष्णा का रास भोग है , तो वो एक बात बताये , की क्या सरीर के बिना भोग हो सकता है ? .. सरीर हाजिर हो मन हाजिर न हो तो भी क्या भोग हो सकता है ? नही हो सकता

अब आप गोपिय के हाल देखिये गोपी क्या कर रही है , काजल लिया आँख में लगा ने के लिए , पर कालज गाल पे लगा रही है , अगर उसको सरीर की चिंता होती तो क्या कालज गालपर लगाति ? चुनडी  ली और उलटी ओढ़ रही है ,उन्हें देह की सुध होती तो क्या चुनडी उलटी ओठ्ती ? , गैया दुह ते  - दुह ते  बासुरी की आवाज सुनाई दी तो  गाय के बछड़े की जग अपने बच्चे को कस के बांध लिया ,उसी समय गोपी की सास  आई और बोली क्या कर रही है  ? बच्चे को मारेगी क्या ?, अगर गोपी का मन ठिकाने होता तो क्या वो अपने बच्चे को बांद ती ? गोपी न तो सरीर में रमण कर रही है , और ना ही गोपी का मन हाजिर है , और उल्टा , फूलटा श्रंगार करके झुण्ड के झुण्ड जा रही है पर किसी को किसी की खबर नही है , हर गोपी यही सोच ति है की में अकेली ही जा रही हु ,
ऐसा क्यों हुआ ? क्यों की ये किसी स्त्री या पुरुष का मिलन नही था वोतो आत्मा व परमतमा का  मिलन था ....

एक दीपक जलता है जो दिशाये  तो बहुत सी होती है ,पर उनका जुडाव ऊपर की तरफ ही होता है , उनका जुडाव सूर्य से ही है....ठीक उसी तरह ,गोपी की आत्मा का जुडाव एक परमात्मा से ही है.......

कई लोग कहते है की कृष्णा की बांसुरी सुनकर गोपियाँ में काम पैदा हुआ,जरा द्रष्टि व सोच को पवित्र कीजिये ...गोपियाँ  कृष्णा के पास  इसलिए नही गयी थी की उनमे काम पैदा हुआ .. अगर काम पैदा होता तो उनके लिए तो वो अपने पति के पास भी जा सकती थी , फिर वो श्याम सुनदर के पास क्यों गयी ? , गोपियाँ के ह्रदय में काम पैदा नही हुआ..बल्कि .गोपियाँ  के ह्रदय में श्री कृष्णा के दर्शन की कामनाये पैदा हुई  ..ये गोपिय कोई साधारण गोपियाँ नही थी ....

ये गोपिय सब भगवान श्री राम जन्म के समय ,जो ऋषि मुनि ऋषियों की पत्निया  जितने भी भगवान श्री राम के प्रेमी थे व सब वृन्दावन में श्री कृष्णा अवतार में , कोई गोपी , कोई ग्वाले कोई मोर व् सभी पसु पक्षी के रूप में जन्म लिया .....
{ जय श्री राधे राधे }


No comments :

Post a Comment