Tuesday, 4 December 2012

मीराबाई बोली हे महाराज आपसे सवाल युही मुप्त में नही पुछू , खूब दक्षिणा दूंगी........

मीराबाई कथा सुनने अपने दादोसा के साथ प्रत्येक कथा में जाती तो ,जब महाराज कहते की किसी को कुछ पूछना हो तो पुच्छ लेना , कथा सुनने वाले सब शोता चले गए ,महार
ाज ने देखा की एक मीराबाई बेठी है

महाराज बोले सब चले गए ,और तुम बेठी हो ? मीराबाई बोली महाराज आपने कहना की किसी को कुछ पूछना हो तो पुच्छ लेना ,तो में कुछ पुच्छ ने बेठी हु , महाराज बोले इतने बड़े बड़े लोग सब चले गए तेरे दादोसा खुद उठ कर चले गए जिसने कुछ नही पूछा तू क्या पूछ जाने ,बोले महाराज सवाल छोटा है ...
महाराज बोले तो पूछ ,जब मीराबाई बोली ,श्याम से मीलन कब होसी ओ मारा जुना जोसी , कन्हैया मिलन कब होसी ,महाराज बोले बेटी सवाल छोटा है पर उत्तर बड़ा..
मीराबाई बोली हे महाराज आपसे सवाल युही मुप्त में नही पुछू , आओ जोशीजी मेरे आन्गनिये बिराजो ,बाँच पढ़ादू थारी पोती.... पाँच मोहर की जोसी दक्षिणा दिलादु , पैरन ने पीताम्बर धोती ,खीर खांडरा जोसी मृत भोजन , सारा तो जिमाई दू थारा गोति , दूध पिवाने जोसी गाय दिलादू ,हिरासु जड़ादू थारी पोती...
खूब दक्षिणा दूंगी महाराज ,आपतो इतना बता दो, की मेरे प्रिय प्रीतम से मेरा मिलन कब होसी मेरे हरिसे मिलन कब होसी ......
महाराज बोले बेटी अगर में तेरे सवाल का उत्तर न दू तो तुम्हे को नाराजगी तो नही है ? मीराबाई बोली महाराज , नाराजगी कैसी आप नही तो कोई और देगा ,पर मेरे जीवन का प्रत्यियेक कथा में एक ही सवाल रहेगा , की हरी से मिलन कब होसी ,अबतो हरी मिलिया ही सुख होसी

मीराबाई ने बहुत से सादु संत महात्माओ से पूछा की कोई तो बतादो मेरे श्याम से मेरा मीलन कब होगा , पर भगवान से मिलने का समय कोई नही बता पाया.....

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