Sunday, 26 May 2013

  
अगर हम जानती , मोहन चले जायेंगे गोकुल से , लगाती प्रेम न उनसे!!

कृष्ण ने कहा ऐ उधो तू जरा जाना व्रज में , उन व्रज वासी गोपियाँ को कुछ ज्ञान का तत्व समझा कर आना , वो सब दिन मेरी याद में , रोती है ,सिसकती है बिलकती है..अपनी सुद्ध  बुद्ध  भूल सब दिन मेरा ही चिंतन करती रहती है , तुम जरा जाना उन्हें ज्ञान समझा के आना
उधव जी आये व्रज में !
जब गोपियाँ ने देखा की उधो हमारे श्याम सुन्दर का सन्देश ले आये है , तो उनके पास गयी

उधव जी पहले तो गोपियाँ को कुछ ज्ञान की बाते समझाई , पर गोपियाँ का चित तो अपने श्याम सुन्दर में है फिर कोई और ज्ञान की बात उनके समझ में कैसे आ सकती है !!

गोपियाँ तो बार बार हाथ जोड़ कर एक ही प्रार्थना करने लगी !

"मिला दो श्याम से उधो , तेरा गुण हम भी गवेंगी !!
मुकुट सिर मोरपंखन का , मकर कुण्डल हैं कानो में !!
मनोहर रूप मोहन का , देख दिल को रिझावेंगी !!
को छोड़ कर गिरधर , गए जब से नही आये !!
चरण में शीश धर करके , फेर उनको मनावेंगी !!
प्रेम हमसे लगा करके , बिसारा नन्द नन्दन ने !!
खता हो गयी हमसे , अरज अपनी सुनावेंगी !!
कभी फिर आय कोकुल में,  हमें दर्शन दिलावेंगे !!
"रहेंगे कंठ में जब तक हमारे प्राण , नही उनको भुलावेंगी !!

हे उधो तुम्हारी ज्ञान की बाते हमारे दिल पर असर नही करती
 उधो वो शावरी सूरत हमारे नैनंन का तारा है
अगर हम जानती चले जायेंगे मोहन गोकुल से लगाती प्रेम न उनसे
बसा श्याम हरदे में नही होता वो अब न्यारा..!!

उधो तुम श्याम सुन्दर को भूल ने की बात करते हो ! किसी और में मन लगाने की बात करते हो ! तो एक बात हम को बतावो ?
क्या बिना मन के किसी का ध्यान हो सकता है  ?
बिना नम किसी का चिंतन हो सकता ?
उधो "नही हो सकता
बस तुम हमे हमारा मन उस श्याम सुन्दर से लाकर देदो फिर तुम कहो उस ब्रह्म का ध्यान करने को राजी है..!!

उधो मन न भये दस बीस एक हो तो  सो गए श्याम संग..
एक मन था जो वो चोर तुम्हारा कन्हिया ले गया
अब हम किस मन से किसी और ब्रह्म का चिंतन करे , जब हमारा मन ही हमारे पास नही..

गोपीयाँ का कृष्ण में अटूट प्रेम देख उधो का सब ज्ञान धरा का धरा रह गया
उधव जी जोड़े हाथ , गोपियों को उधव जी ने अपना गुरु बना लिया।
ज्ञान बजायी दुग्दुगी विरह बजायो ढोल
उधो दूधो रहगयो सुन गोपियन को बोल
अगर किसी गोपी की रच अपने सिर पे लगाने को मिल जाये तो श्याम सुन्दर से अपने आप प्रेम हो जाता है !!
  { जय जय श्री राधे
}

No comments :

Post a Comment