Wednesday, 15 May 2013

                      द्रोपदी कौरवों से घिरी थी
                     मुरली वाले से विनती करी थी
                    प्रभु आकर के चीर बढ़ाये....


द्रोपती की जब लाज जा रही थी तो वो सहयता के लिए सबकी और देख रही थी की कोई मुझे बचानेके लिए उठेगा , कोई मेरी लाज बचाएगा , पांड्वो की और देखा पांडव् सिर निचे किये हुए बैठे है..
धृतराष्ट्र  की और देखा तो समझ गयी की ये तो आखो से भी अंधे है और मोह से भी अंधे है..
भीष्म पिताहमा भी उस दिन उठ नही पाए !!
लेकिन वहा पर एक महा पुरीष बेठे थे क्रिपाचार्य जो स्वयम तो नही उठ ते पर द्रोपदी को इशारा करते हुए अपनी उंगली उपरकी और करते है , की बेटी तू अनेको की और क्यों देख रही है ,तू उनकी और देख , तू एक की और देख ,बाकि सब तो तेरा तमासा देखने को बेठे है , तेरी लाज बचाने वाला वो एक ही है जिनको सबकी लाज है

पहले तो द्रोपदी साड़ी पकड़ कर कड़ी थी पर जैसे ही कृष्णा का स्मरण हुआ, साड़ी को छोड़ दिया , भगवान का ऐसा समरपण हो गया की साड़ी को छोड़ दोनों हाथ ऊपर कर द्रोपदी कहने गली

"मेरी लाज जाये तो भलेही जाये यदुराज
पर कोरव समाज हेर तेरी आज जाएगी ,
मेरी लाज केवल पांडव प्रिया ही नाही
कछु तो कहो तेरी ताके काज जाएगी
मेरी लाज सत्य पे असत्य के हवाले हुई
तो सत्य सिन्दू तेरी सत्यता निवास जाएगी
मेरी लाज तेरी लाज , तेरी लाज मेरी लाज
मेरी लाज जाएगी तो , तेरी लाज जाएगी..

"हे कृष्ण आज मुझे कौरव समाज ने घेर रखा है , आज तेरे सिवाय मेरा सहारा कोई नही  "हे गोविन्द आज मेरी लाज चली गयी तो लोग ये नही कहेंगे की द्रोपदी की लाज चली गयी , लोग कहेंगे की कृष्ण की एक परम भक्ता की लाज चली गयी
हे कृष्ण आप मेरी परवाह करो ना करो पर अपने भक्तवात्सलॆएका तो थोडा  खयाल करो , तेरा नाम है भक्तवत्सल
कहते हो की मेरी शरण में आये मेरे भक्त की रक्षा करना मेरा व्रत है ,मेरा कर्तव्य है , मेरा धर्म है..
और द्रोपदी ने भगवान को ऐसा पुकारा की भगवान से  रहा नही गया , द्रोपदी की करुणा भरी पुकार सुनते ही कृष्ण दोड़े चले आये , भगवान ने इतना चीर बढाया की ,दुष्ट दुसाशन चीर , खीच - खीच कर हार गया पर साड़ी का कही छोर नही मिला , साड़ी का कही अंत नही मिला।।

आप जानते हो ना दुसाशन में दस हजार हाथिओ का बल था वो दस हजार हथियो जैसा बल थक गया पर दस गज चीर नही थका , क्यों की चीर बढाने वाले यदु राज थे !!

"क्या करे बेरी प्रबल जो सहाय यदु वीर !!
दस हजार गज बल थक्यो , पर थक्यो न दस गज चीर !!

जिनका सहारा यदु वीर हो जाये उनके कितने ही बैरी क्यों न हो , पर प्रभु अपने भक्तो पर आच भी नही आने देते।।

भगवान कहते है मेरे भक्त की लाज मेरी लाज से भी बढ़ कर है
मेरी लाज की परवाह हो न हो, पर मेरे भक्त की लाज की परवाह मैं  हमेसा करता हु , मैं उनकी लाज कभी नही जाने देता..!!
      
       { जय जय श्री राधे }



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