Saturday, 3 May 2014

                || हनुमानजी के जन्म कि कथा ||

हनुमानजी कि माता अंजनी ब्रह्मलोक कि एक दिव्य अपशरा थी।  उनका नाम पुज्यकस्थला था  उनसे ब्रह्मलोक में एक अपराध हो  गया और ब्रह्मा जी ने श्राप दे दिया कि तुझे ब्रह्मलोक से  धरतीलोक में जाना पड़ेगा।

वही पुज्यकस्थला धरती पर अंजनी जी के रूप में प्रकट हुई। उनका विवाह वानरराज केशरी जी के साथ हुआ , केशरी जी बहुत  बलशाली थे , जब उनकी भुजाओ में खुजली मचती , उस समय उनमे अपार बल आ जाता और बड़े बड़े पर्वतो को उछालने लग जाते।

वे बड़े- बड़े पहाड़ पर्वत खंड - खंड हो कर निचे गिरते तब कभी किसी  ऋषि के आश्रम में जा पड़ते तो कभी बहुत से ऋषिमुनियों कि मण्डली में जा गिरते उन पहाड़ो के टुकड़ो से ऋषि चोटिल हो जाते , उस समय सब ऋषिमुनियों का समाज दुखी होने लगा और कहा कि  जब ये इतना बलवान है कि खुजली मचने पर बड़े बड़े पहाड़ उखाड़ कर  फेक डालता है तो इनकी संतान होगी तब कितनी बलवान होगी  ये सोच कर उस समय सभी ऋषियोंने केशरीजी को श्राप दे दिया कि तुम संतानहीन होंगे तुम्हारे द्वारा कभी कोई तुमे संतान प्राप्त नही होगी।

 केशरी जी ऋषियों का श्राप सुनकर ब्रह्मचार्य का पालन करने लगे और मन ही मन दुखी रहने लगे पर उनकी पत्नी ने कहा स्वामी ! आप दुखी न हो मैं शंकर भगवान से प्रार्थना करके उनसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वास पाऊँगी और वे पर्वत पर  ( पंचाक्षर का ) जप कर ने लगी।

उसी समय शंकर भगवान, विष्णु भगवान के मोहिनी अवतार के दर्शन करने आये तब वे भगवान के मोहिनी रूपसे मोहित हो गए और उनके पीछे - पीछे चल कर गए।
 उस समय भगवान का आमोग तेज स्खलित  हुआ और ऋषियोंने उस तेज को यज्ञ पात्र में सुरक्षित रखा फिर राम कार्य कि सिद्धि के लिए वायु को आज्ञा दी और ऋषियों ने वायु देव से कहा कि शंकर भगवन के इस तेजको अंजनी के दक्षण करण मार्गसे( उदर ) में स्थापित करो।

 वायु देव आये और उन्होंने अंजनी के दक्षण करण मार्गसे शंकर भगवान का तेज अंजनी के गर्भ में स्थापित किया , तब जप कर रही अंजनी जी को लगा कि किसी ने मेरा स्पर्श किया , किसी ने मेरे भीतर प्रवेश किया है।

 वे क्रोधसे तिलमिला उठी और बोली कौन है ? जिसने मेरा स्पर्श किया , मैं पतिव्रता नारी हूँ , जिसने भी मेरा स्पर्श किया वो तुरंत मेरे सामने आ जाए अतः में श्राप दे दूंगी।

 अंजनी जी का क्रोध देख कर वायु देव प्रकट हुए और कहा देवी ! मैं  वायु हूँ , आप का सतीत्व पूर्णतया सुरक्षित है , आप का पतिव्रता  व्रत  खंडित नही हुआ है।
 ऋषियोंके आदेश से मैंने ही आपके गर्भ में शंकर भगवान का तेज स्थापित किया है , आप के गर्भ से साक्षात् शंकर भगवान का रूप जन्म लेंगे, जो प्रभु श्री राम कार्य में सहायक होगा ,
उतना कह कर वायु देव अंतरध्यान हो गए और कुछ  समय बीतने पर केशरी नंदन अंजनी के पुत्र हनुमान जी का जन्म हुआ यही बजरंग बली इतने बलशाली है कि आज तक उन्होंने पूरा बल तो कभी दिखाया ही नही कुछ बल से ही सोने कि लंका जला दी ,और प्रभु श्री राम व्   रावण युद्ध में सहायक बने..
 जय श्री राम !!
   { जय श्री राधे राधे }

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