Saturday, 11 October 2014

प्रियतम  मीठी  नित  याद  तुम्हारी आती !
मैं  पल  भर  कभी तुम्है  बिछार  न  पाती !!

आजारे  मन  मीत  साँवरे , आरत हो  के  पुकारू !
मैं निशदिन तेरा ध्यान धरु, अरु रोज ही पंत निहारु !!

कब आएगा तू ही  बता दे , बात रही  अब  तेरी !
मेरी तूने एक न मानी ,समझी अपन से न्यारी !!
 

खिया सावन बदरा बरसे , आश लगी मोहे तेरी !
दिना  नाथ  दयाकर  मोहन ,  मैं  दासी  हूँ  तेरी ! !

हृदय  पीर  पिव तोहे मिलन की , रोम रोम  अकुलावे !
रो - रो कर में तुझे पुकारू , श्याम धणी क्यों नही आवे ?!!

और भगतन को दर्शन दे पिव पीर मिटाई भारी !
अब मेरी  बारी  आई तो , नाक सूज गयी  थारी !!

तू अंतर्यामी है  श्यामा , क्या  तू  समझ नही पावे !
मेरे हृदय पीर पिव भारी , क्या तू जान नही पावे !!

क्या मोसे कछु भूल  हो गयी , या  तू माया  डारि !
तू कहवे तो कान पकड़लूं ,  खोल आँख अब थारी !!

दासी के प्रभु श्यामा सांवरे , पीर समझ अब मोरी !
जल्दी आना देर न करना , दासी , के श्याम मुरारी!!

जय श्री राधे राधे }

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