प्रियतम मीठी नित याद तुम्हारी आती !
मैं पल भर कभी तुम्है बिछार न पाती !!
आजारे मन मीत साँवरे , आरत हो के पुकारू !
मैं निशदिन तेरा ध्यान धरु, अरु रोज ही पंत निहारु !!
कब आएगा तू ही बता दे , बात रही अब तेरी !
मेरी तूने एक न मानी ,समझी अपन से न्यारी !!
अखिया सावन बदरा बरसे , आश लगी मोहे तेरी !
दिना नाथ दयाकर मोहन , मैं दासी हूँ तेरी ! !
हृदय पीर पिव तोहे मिलन की , रोम रोम अकुलावे !
रो - रो कर में तुझे पुकारू , श्याम धणी क्यों नही आवे ?!!
और भगतन को दर्शन दे पिव पीर मिटाई भारी !
अब मेरी बारी आई तो , नाक सूज गयी थारी !!
तू अंतर्यामी है श्यामा , क्या तू समझ नही पावे !
मेरे हृदय पीर पिव भारी , क्या तू जान नही पावे !!
क्या मोसे कछु भूल हो गयी , या तू माया डारि !
तू कहवे तो कान पकड़लूं , खोल आँख अब थारी !!
दासी के प्रभु श्यामा सांवरे , पीर समझ अब मोरी !
जल्दी आना देर न करना , दासी , के श्याम मुरारी!!
{ जय श्री राधे राधे }
मैं पल भर कभी तुम्है बिछार न पाती !!
आजारे मन मीत साँवरे , आरत हो के पुकारू !
मैं निशदिन तेरा ध्यान धरु, अरु रोज ही पंत निहारु !!
कब आएगा तू ही बता दे , बात रही अब तेरी !
मेरी तूने एक न मानी ,समझी अपन से न्यारी !!
अखिया सावन बदरा बरसे , आश लगी मोहे तेरी !
दिना नाथ दयाकर मोहन , मैं दासी हूँ तेरी ! !
हृदय पीर पिव तोहे मिलन की , रोम रोम अकुलावे !
रो - रो कर में तुझे पुकारू , श्याम धणी क्यों नही आवे ?!!
और भगतन को दर्शन दे पिव पीर मिटाई भारी !
अब मेरी बारी आई तो , नाक सूज गयी थारी !!
तू अंतर्यामी है श्यामा , क्या तू समझ नही पावे !
मेरे हृदय पीर पिव भारी , क्या तू जान नही पावे !!
क्या मोसे कछु भूल हो गयी , या तू माया डारि !
तू कहवे तो कान पकड़लूं , खोल आँख अब थारी !!
दासी के प्रभु श्यामा सांवरे , पीर समझ अब मोरी !
जल्दी आना देर न करना , दासी , के श्याम मुरारी!!
{ जय श्री राधे राधे }
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