Friday, 31 October 2014

गोपाष्टमी की गो पालक भारत वासियोको हार्दिक शुभ कामनाये 
बालकृष्ण लाल की गोचारण लीला के कुछ सब्द

भगवान वृन्दावन में बड़े - बड़े पहाड़ो और जंगलो में गौ चरण के लिए जाते थे पर मईया के बहुत कहने पर भी कभी जूती धारण नही की थी।

एक दिन मईया अपने लाला को गौ चरण के लिए श्रृंगार कर रही थी तब मईया ने अपने लाला को पद्म धारण करने के लिए फिर से आग्रह किया कि
"देख लाला ! तुमरे चरण बहुत कोमल है और तू गईया चरावे जावेगो तो तुमरे पैरो में कंकर , कंटक लग जायेंगे इसलिए व्यर्थ का हट छोड़ दे , हमारी बात मानले और पग में जूती धारण करले !

ठाकुरजी ने कहा अच्छा मईया ! जब तुम इतना आग्रह कर रही है तो ठीक है पर , मैं एक ही शर्त पर जूती धारण कर सकू हूँ , पहले हमारी जितनी भी गईया है उनसबके लिए जूती बनवालियो , जब हमारी गईया जूती पहनके चलेगी तब मैं भी जूती पहन लूंगा !

मईया हंस कर बोली हरे लाला ! तू बड़ो भोलो है गईया कभी जूती पहिने है ? गायतो पशु होवे है ,
ये सुन कर ठाकुरजी धरती पर उलट पुल्ट हो कर रोने लगे , सारा श्रृंगार बिगाड़ लिया , और बोले अरी मईया ! हमारी ( ईस्ट देव ) को तुमने पशु कैसे कह दिया ? गाय तो हम सबकी माता होवे है , फिर ( माँ ) पशु कैसे हो गयी ?

लाला का रुदन देख कर बाबा और मईया घबराएं कि अब लाला को कैसे मनावे , गाय को पशु कहने कि गलती हो गयी , तब मईया और बाबा ने कान पकड़े और बोले ,
अरे लाला ! हमसे बहुत भारी गलती हो गयी , हमको क्षमा करद्यो , आज के बाद गाय को कभी पशु नही कहेंगे , आज से गौ माता हम सबकी ईस्ट देव ही होगी..

मईया ने फिर से ठाकुरजी को जैसे तैसे मनाया और फिरसे गौ चरण के लिए राजी किया..

जरा विचार करे कि जब भगवान को ये सहन नही होता कि गाय को कोई पशु कहे , जब वो ही गौ धन कटनी में जाता है तब भगवान के कष्ट कि सीमा नही रह जाती..

गोविन्द चले आओ ,गोपाल चले आओ !
तेरी गईया तुझे पुकारे , संकट से बचा जाओ !!


        { जय जय श्री राधे }
   


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