सुविचार
1 ऐ धरती के रहने वालो, धरती को स्वर्ग बनाना है॥
है स्वर्ग कहीं यदि ऊपर तो, उसको इस भू पर लाना है॥
{ जय जय श्री राधे }
2 अन्य लोगो के कष्टपीडि़त और अभावग्रस्त रहते
स्वयं मौज-मस्ती में रहना मानवीय अपराध हैं
{ जय जय श्री राधे }
3 चेहरा देना कुदरत का काम है ,उसे सुंदर भाव देना आपका ....
आप हर पल मुश्कुराते रहिये, आपकी यही मुश्कान अपनों को खुसी देंगी
{ जय जय श्री राधे }
4 लोग प्यार करना सीके। हममें, अपने आप में, अपनी आत्मा और जीवन में परिवार में, समाज में, कर्तव्य में और ईश्वर में दसों दिशाओं में प्रेम बिखेरना और उसकी लौटती हुयी प्रतिध्वनि का भाव भरा अमृत पीकर धन्य हो जाना, यही जीवन की सफलता है।
{ जय जय श्री राधे }
5 पीड़ित से यह मत पूछिये कि तुम्हार दर्द कैसा है। उसकी पीड़ा को स्वय में देखिए और फिर आप वह सब कीजिए जो आप अपनी ओर से कर सकते है।
{ जय जय श्री राधे }
6 सुख और आनन्द ऐसे इत्र हैं... जिन्हें जितना अधिक दूसरों पर छिड़केंगे, उतनी ही सुगन्ध आपके भीतर समायेगी।
{ जय जय श्री राधे }
7 बिना गिरे कोई चलना नही सिखता गिरजाना बुरी बात नही है
1 ऐ धरती के रहने वालो, धरती को स्वर्ग बनाना है॥
है स्वर्ग कहीं यदि ऊपर तो, उसको इस भू पर लाना है॥
{ जय जय श्री राधे }
2 अन्य लोगो के कष्टपीडि़त और अभावग्रस्त रहते
स्वयं मौज-मस्ती में रहना मानवीय अपराध हैं
{ जय जय श्री राधे }
3 चेहरा देना कुदरत का काम है ,उसे सुंदर भाव देना आपका ....
आप हर पल मुश्कुराते रहिये, आपकी यही मुश्कान अपनों को खुसी देंगी
{ जय जय श्री राधे }
4 लोग प्यार करना सीके। हममें, अपने आप में, अपनी आत्मा और जीवन में परिवार में, समाज में, कर्तव्य में और ईश्वर में दसों दिशाओं में प्रेम बिखेरना और उसकी लौटती हुयी प्रतिध्वनि का भाव भरा अमृत पीकर धन्य हो जाना, यही जीवन की सफलता है।
{ जय जय श्री राधे }
5 पीड़ित से यह मत पूछिये कि तुम्हार दर्द कैसा है। उसकी पीड़ा को स्वय में देखिए और फिर आप वह सब कीजिए जो आप अपनी ओर से कर सकते है।
{ जय जय श्री राधे }
6 सुख और आनन्द ऐसे इत्र हैं... जिन्हें जितना अधिक दूसरों पर छिड़केंगे, उतनी ही सुगन्ध आपके भीतर समायेगी।
{ जय जय श्री राधे }
7 बिना गिरे कोई चलना नही सिखता गिरजाना बुरी बात नही है
गिरे पड़े रहना बुरी बात है और गिरकर सम्बल जाना अच्छी बात है
{ जय जय श्री राधे }
{ जय जय श्री राधे }
8 अपने लक्ष्य को इतना माहन बनादो की
व्यर्थ के लिए समय ही नही बचे
{ जय जय श्री राधे }
9 मन यदि संसार में रमा है तो लोभ को बढाएगा !
व्यर्थ के लिए समय ही नही बचे
{ जय जय श्री राधे }
9 मन यदि संसार में रमा है तो लोभ को बढाएगा !
मन यदि परमात्मा में रमा है तो प्रेम को बढाएगा !
{ जय जय श्री राधे }
10 अगर रिस्ता सबसे बड़ा कोई हो सकता है तो वही रिश्ता बड़ा है
{ जय जय श्री राधे }
10 अगर रिस्ता सबसे बड़ा कोई हो सकता है तो वही रिश्ता बड़ा है
जो परमात्मा से जोड़ता है।
{ जय जय श्री राधे }
{ जय जय श्री राधे }