जब सखी बोली आओ प्यारे
एक बार एक सखी का नया नया विवाह वृंदावन में हुआ,उसने कभी श्याम सुन्दर को देखा नहीं था,उसकी सास तो सब जानती थी कि श्याम सुन्दर संध्या के समय गौओ को चराकर वृंदावन वापस लौटते है,और जिस किसी सखी से श्याम सुन्दर की नजर एक बार मिल गई बस फिर सखी लोक लाज मर्यादा सब भूल जाती है, मन में सोचने लगी कैसे भी करके मेरी बहू की नजर कृष्ण से नहीं मिलनी चाहिये.
झट बहू के पास आई और उससे बोली - देख बहू! शाम के समय घर की अटारी पर रहा कर, और खिडकी मत खोलना, घर के दरवाजे पर खड़ी मत होना, शाम के समय खराब बयार चलती है, इसलिए भूलकर भी दरवाजा मत खोलना, हर दिन सास यही कहती और शाम के समय स्वयं दरवाजे पर खड़ी हो जाती.बहू सोचती ऐसा क्या है जो सास मुझे दरवाजे पर खड़ी नहीं होने देती, अटारी की खिडकी भी नहीं खोलने देती.
एक दिन सास शाम के समय कही बाहर गई थी,बहू सोचने लगी,आज अच्छा मौका है दरवाजे न सही अटारी की खिडकी से जरुर खोलूँगी,शाम के समय बहू अटारी पर गई और खिडकी खोलकर देखने लगी.सामने से श्याम सुन्दर गईया चरा के आ रहे थे,जब गईया निकल गई पीछे पीछे श्याम सुन्दर बंसी बजाते हुए चले आ रहे है,उनके हाथ में गेंद भी है और वे उसे ऊपर उछालते हुए आ रहे है,जैसे ही उस सखी के घर के सामने से निकले तभी उसने खिडकी खोली,उस सखी की नजर श्याम सुन्दर पर पड़ी और तभी श्याम सुन्दर ने गेंद ऊपर उछाली,दोनों की नजर मिली श्याम सुन्दर तो आगे निकल गए और गोपी पागल हो गई.
झट अटारी से नीचे आई और सर की ओढनी तो उतार दी और कमर में बांधली, और नाचने लगी,सखी ऐसी नाची है की तन का होश भी नहीं है,मानो आज उसे संसार की सारी संपत्ति मिल गई,
इधर सास ने सोचा -बड़ी देर हो गई शाम का समय भी था जल्दी घर जाना चाहिये,झट भागी और जैसे ही घर में आई,तो देखा बहू तो सिर की ओढनी कमर में कसे हुए है,और नाच रही है.
सास बोली - बहू क्या हो गया है ?
बहू कहा सुनने वाली थी - सास को देखकर बोली -आओ प्यारे !
सास घबरा गई ,भागी भागी अपने बड़े बेटे के पास गई, बोली - बेटा ! घर चल, बहू को खराब बयार लग गई है.
सखी का जेठ आया - उसे देखकर सखी फिर बोली -
आओ प्यारे ! जेठ बोला है !
मुझसे आओ प्यारे बोलती है और कायदा भी नहीं करती.
सास भागी भागी ससुर को बुला लायी - ससुर ने पूंछा -बहू क्या हो गया ?
बहू फिर बोली - आओ प्यारे !
ससुर बोला - इसे सचमुझ खराब बयार लग गई है. सास समझ गई कि ये खराब बयार कैसे लगी, झट नन्दभवन गई और बोली कन्हैया जल्दी चल मेरी बहू को तुम ही ठीक कर सकते हो.
कृष्ण साथ में गए जो उस सखी ने कृष्ण को देखा तो बोली - आओ प्यारे !और थोड़ी देर में ठीक हो गयी जब होश में आई तो देखा सामने सास, ससुर, जेठ, खड़े है. झट कमर से ओढ़नी उतारी और सिर पर डाल ली.
कृष्ण बोले -देख गोपी! आज के बाद शाम के समय दरवाजे या खिडकी बंद की न तो अब की बार खराब बयार की तुम्हारी बारी है , तुम भी ऐसे ही आओ प्यारे ही बोलती रहोगी.
सास बोली - आज के बाद कभी शाम के समय दरवाजा खिडकी बंद नहीं रखूँगी,और इस तरह उस दिन के बाद से किसी गोपी ने शाम के समय अपना दरवाजा और खिडकी बंद नहीं की.
ऐसे है ये चित चुराने वाले चित चोर
{ जय जय श्री राधे }
एक बार एक सखी का नया नया विवाह वृंदावन में हुआ,उसने कभी श्याम सुन्दर को देखा नहीं था,उसकी सास तो सब जानती थी कि श्याम सुन्दर संध्या के समय गौओ को चराकर वृंदावन वापस लौटते है,और जिस किसी सखी से श्याम सुन्दर की नजर एक बार मिल गई बस फिर सखी लोक लाज मर्यादा सब भूल जाती है, मन में सोचने लगी कैसे भी करके मेरी बहू की नजर कृष्ण से नहीं मिलनी चाहिये.
झट बहू के पास आई और उससे बोली - देख बहू! शाम के समय घर की अटारी पर रहा कर, और खिडकी मत खोलना, घर के दरवाजे पर खड़ी मत होना, शाम के समय खराब बयार चलती है, इसलिए भूलकर भी दरवाजा मत खोलना, हर दिन सास यही कहती और शाम के समय स्वयं दरवाजे पर खड़ी हो जाती.बहू सोचती ऐसा क्या है जो सास मुझे दरवाजे पर खड़ी नहीं होने देती, अटारी की खिडकी भी नहीं खोलने देती.
एक दिन सास शाम के समय कही बाहर गई थी,बहू सोचने लगी,आज अच्छा मौका है दरवाजे न सही अटारी की खिडकी से जरुर खोलूँगी,शाम के समय बहू अटारी पर गई और खिडकी खोलकर देखने लगी.सामने से श्याम सुन्दर गईया चरा के आ रहे थे,जब गईया निकल गई पीछे पीछे श्याम सुन्दर बंसी बजाते हुए चले आ रहे है,उनके हाथ में गेंद भी है और वे उसे ऊपर उछालते हुए आ रहे है,जैसे ही उस सखी के घर के सामने से निकले तभी उसने खिडकी खोली,उस सखी की नजर श्याम सुन्दर पर पड़ी और तभी श्याम सुन्दर ने गेंद ऊपर उछाली,दोनों की नजर मिली श्याम सुन्दर तो आगे निकल गए और गोपी पागल हो गई.
झट अटारी से नीचे आई और सर की ओढनी तो उतार दी और कमर में बांधली, और नाचने लगी,सखी ऐसी नाची है की तन का होश भी नहीं है,मानो आज उसे संसार की सारी संपत्ति मिल गई,
इधर सास ने सोचा -बड़ी देर हो गई शाम का समय भी था जल्दी घर जाना चाहिये,झट भागी और जैसे ही घर में आई,तो देखा बहू तो सिर की ओढनी कमर में कसे हुए है,और नाच रही है.
सास बोली - बहू क्या हो गया है ?
बहू कहा सुनने वाली थी - सास को देखकर बोली -आओ प्यारे !
सास घबरा गई ,भागी भागी अपने बड़े बेटे के पास गई, बोली - बेटा ! घर चल, बहू को खराब बयार लग गई है.
सखी का जेठ आया - उसे देखकर सखी फिर बोली -
आओ प्यारे ! जेठ बोला है !
मुझसे आओ प्यारे बोलती है और कायदा भी नहीं करती.
सास भागी भागी ससुर को बुला लायी - ससुर ने पूंछा -बहू क्या हो गया ?
बहू फिर बोली - आओ प्यारे !
ससुर बोला - इसे सचमुझ खराब बयार लग गई है. सास समझ गई कि ये खराब बयार कैसे लगी, झट नन्दभवन गई और बोली कन्हैया जल्दी चल मेरी बहू को तुम ही ठीक कर सकते हो.
कृष्ण साथ में गए जो उस सखी ने कृष्ण को देखा तो बोली - आओ प्यारे !और थोड़ी देर में ठीक हो गयी जब होश में आई तो देखा सामने सास, ससुर, जेठ, खड़े है. झट कमर से ओढ़नी उतारी और सिर पर डाल ली.
कृष्ण बोले -देख गोपी! आज के बाद शाम के समय दरवाजे या खिडकी बंद की न तो अब की बार खराब बयार की तुम्हारी बारी है , तुम भी ऐसे ही आओ प्यारे ही बोलती रहोगी.
सास बोली - आज के बाद कभी शाम के समय दरवाजा खिडकी बंद नहीं रखूँगी,और इस तरह उस दिन के बाद से किसी गोपी ने शाम के समय अपना दरवाजा और खिडकी बंद नहीं की.
ऐसे है ये चित चुराने वाले चित चोर
{ जय जय श्री राधे }
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