Sunday, 10 June 2012

                   ये तेरी आँखे है या कोई जादू

जब से इन आखों से
आँखे मिली , हो गयी है तभी से ये बावली आँखे
नहीं धीर धरे अति व्याकुल है , उपजाति ही ये पुलकाबरी आँखे
कुछ जादू भरी कुछ भाव भरी , उस सावरे की है ये सावरी आँखे
फिरसे वह रूप दिखादे कोई , हो रही है बड़ी ही उतावली आँखे

तेरी निगाह ने प्यारे कभी ये सोचा है ,
की तेरी निगाह के मारो का हाल क्या होंग ?
ऐ मेरे पर्दा नसीह अबतो ये हटः पर्दा ,नहीतो
तेरे दर्शन के बिमारो का हाल क्या होंगा
अब इंतज़ार के मरो का हल क्या होंगा
 { जय जय श्री  राधे }

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