Sunday, 10 June 2012

                             राधा का विरह ....

लखी चित्र चरित्र सुनाह जबसे , न रहा बस में मन मोरा
विष तीरसे धीर सरीर चुबे , अनियारे बड़े ध्रिग धीरग तोरा
दिन रात ना चेन पड़े अबतो , उसके मुख के चन्द्र  की में हु चकोरी
बस देखा ही रूप करू उसका , अति प्यारा लगे हम्हे नंद्का छोरा
                                  जय श्री कृष्ण
                 

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