राधा का विरह ....
लखी चित्र चरित्र सुनाह जबसे , न रहा बस में मन मोरा
विष तीरसे धीर सरीर चुबे , अनियारे बड़े ध्रिग धीरग तोरा
दिन रात ना चेन पड़े अबतो , उसके मुख के चन्द्र की में हु चकोरी
बस देखा ही रूप करू उसका , अति प्यारा लगे हम्हे नंद्का छोरा
जय श्री कृष्ण
No comments :
Post a Comment