श्री कृष्ण बोले गोपी ये तो पेड़ पर फल लगे है...
गोपियाँ नहाकर तट पर आई तो तट पर वस्त्र ना मिलने पर इधर उधर देखने लगी की हमारे वस्त्र कौन ले गया , देखा तो ठाकुर जी का पीताम्बर पेड़ पर लटक रहा था ,
ठाकुर जी ने अपना भी वस्त्र हरण कर लिया और अपना पीताम्बर भी उस पेड़ पर लटका दिया जिस पेड़ पर गोपियाँ के वस्त्र लटकाये हुवे थे, गोपियाँ ने पहचान करी की कन्हैया भी यही कही होगा ,और उतने में बांसुरी सुनी तो समझ में आ गया.... एक गोपी को क्रोध आया की देखो सुबह सुबह आ गया इतनी जल्दी उठ कर आ गया ,गैया चराने में तो इनको जोर आता है ,
गोपी बोली आरी ओओओओ दारी के चोर कहिके, लाये हमारे वस्त्र हमको देदे ,"ठाकुर जी बोले रे एक गाली दो गाली - गाली पे गाली वस्त्र चाहिए और धमकी दे रही है....ठाकुरजी बोले में नहीं देने वाला ,"गोपी बोली कन्हैया हमारे वस्त्र दे......ठाकुरजी बोले जो ना दिए तो ??... गोपियाँ बोली तेने अगर हम्हारे वस्त्र ना दिए तो हम तुम्हारी सिकायत कंस से करेंगे..कंस के सिपाही तो को पकड़ ले जायेंगे ,
ठाकुर जी बोले जाओ सिकायत करके आओ.....,पर जावे केसे ,जलमे खड़ी है ,जा नही सकती ..."एक गोपी बोली की ऐसे धमकी देने से ये कृष्ण वस्त्र देने वाला नही है ...अब गोपियाँ विनती कर रही है ... अरे कन्हैया, ओ श्याम सुनदर ,ओ यशोदा के ,भोले से, प्यारे से ,लाला ,कन्हियो कितनो प्यारो ,है , हमरे वस्त्र देइदो लाला, ,
ठाकुर जी बोलो हाहा अब कन्हैया श्याम सुंदर कितनो अच्छो.. नही तो चोर दारी के ऐसी -ऐसी गाली देती हो....गोपी बोली अरे कृष्ण हम भोली भारी घिवारन क्या जाने किसको क्या बोले ,क्या कहना चाहिए ,
अब ठाकुर जी बोले गोपियाँ मेने तो तुम्हारे वस्त्र चुराए नही .....गोपियाँ बोली अच्छा कृष्ण तो ये पेड़ पर कहा से लटक रहे है ?? बोले ये पेड़ पर मेने थोड़ी न लटकाए ,ये तो पेड़ पर फल लगे है.. गोपी बोली अच्छा पेड़ पे फल लगे है ? तो ये फल ही हमे तोड़ के देदो ...
कन्हैया बोले फल अभी कच्चे है तोड़ू नही ..
गोपिय बोली रे ये कृष्ण तो बड़ा उत्पाती है ...मानेगा नहीं ,तब गोपिय प्रार्थना करने लगी की ,हे कृष्ण हमसे कोई भूल हुई हो तो हमको बतादो, लाला ..कृष्ण बोले गोपीजन तुम क्या कर रही हो जल में बिना वस्त्र स्नान कर रही हो पाना तो मुझे चाहती हो और आश्रय लेती हो जलके देव वरुण का , गोपिय बोली कृष्ण हमसे भूल हो गई अब इस भूल के साथ ही आप को स्वीकार करना पड़ेगा हमारे में भूल है या फूल है, तो भी आप को हमे स्वीकार करना पड़ेगा हम तो तोरे बिना मोल की दासी है श्याम सुन्दर ...
{जय जय श्री राधे} .
गोपियाँ नहाकर तट पर आई तो तट पर वस्त्र ना मिलने पर इधर उधर देखने लगी की हमारे वस्त्र कौन ले गया , देखा तो ठाकुर जी का पीताम्बर पेड़ पर लटक रहा था ,
ठाकुर जी ने अपना भी वस्त्र हरण कर लिया और अपना पीताम्बर भी उस पेड़ पर लटका दिया जिस पेड़ पर गोपियाँ के वस्त्र लटकाये हुवे थे, गोपियाँ ने पहचान करी की कन्हैया भी यही कही होगा ,और उतने में बांसुरी सुनी तो समझ में आ गया.... एक गोपी को क्रोध आया की देखो सुबह सुबह आ गया इतनी जल्दी उठ कर आ गया ,गैया चराने में तो इनको जोर आता है ,
गोपी बोली आरी ओओओओ दारी के चोर कहिके, लाये हमारे वस्त्र हमको देदे ,"ठाकुर जी बोले रे एक गाली दो गाली - गाली पे गाली वस्त्र चाहिए और धमकी दे रही है....ठाकुरजी बोले में नहीं देने वाला ,"गोपी बोली कन्हैया हमारे वस्त्र दे......ठाकुरजी बोले जो ना दिए तो ??... गोपियाँ बोली तेने अगर हम्हारे वस्त्र ना दिए तो हम तुम्हारी सिकायत कंस से करेंगे..कंस के सिपाही तो को पकड़ ले जायेंगे ,
ठाकुर जी बोले जाओ सिकायत करके आओ.....,पर जावे केसे ,जलमे खड़ी है ,जा नही सकती ..."एक गोपी बोली की ऐसे धमकी देने से ये कृष्ण वस्त्र देने वाला नही है ...अब गोपियाँ विनती कर रही है ... अरे कन्हैया, ओ श्याम सुनदर ,ओ यशोदा के ,भोले से, प्यारे से ,लाला ,कन्हियो कितनो प्यारो ,है , हमरे वस्त्र देइदो लाला, ,
ठाकुर जी बोलो हाहा अब कन्हैया श्याम सुंदर कितनो अच्छो.. नही तो चोर दारी के ऐसी -ऐसी गाली देती हो....गोपी बोली अरे कृष्ण हम भोली भारी घिवारन क्या जाने किसको क्या बोले ,क्या कहना चाहिए ,
अब ठाकुर जी बोले गोपियाँ मेने तो तुम्हारे वस्त्र चुराए नही .....गोपियाँ बोली अच्छा कृष्ण तो ये पेड़ पर कहा से लटक रहे है ?? बोले ये पेड़ पर मेने थोड़ी न लटकाए ,ये तो पेड़ पर फल लगे है.. गोपी बोली अच्छा पेड़ पे फल लगे है ? तो ये फल ही हमे तोड़ के देदो ...
कन्हैया बोले फल अभी कच्चे है तोड़ू नही ..
गोपिय बोली रे ये कृष्ण तो बड़ा उत्पाती है ...मानेगा नहीं ,तब गोपिय प्रार्थना करने लगी की ,हे कृष्ण हमसे कोई भूल हुई हो तो हमको बतादो, लाला ..कृष्ण बोले गोपीजन तुम क्या कर रही हो जल में बिना वस्त्र स्नान कर रही हो पाना तो मुझे चाहती हो और आश्रय लेती हो जलके देव वरुण का , गोपिय बोली कृष्ण हमसे भूल हो गई अब इस भूल के साथ ही आप को स्वीकार करना पड़ेगा हमारे में भूल है या फूल है, तो भी आप को हमे स्वीकार करना पड़ेगा हम तो तोरे बिना मोल की दासी है श्याम सुन्दर ...
{जय जय श्री राधे} .
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