Tuesday, 27 August 2013



    व्रज रज  उड़ती  देख कर मत कोई करजो ओट
    व्रज रज  उड़े मस्तक लगे  गिरे पाप की पोत


जिन देवतायो को खबर पड़ गयी थी की बाल कृष्ण लाल बन कर भगवान लीलाधर पुर्षोतम पधारने वाले है वो सब तो व्रज में कोई ग्वाला बन कर जन्म ले लिया  ,  कोई गोपी , कोई गईया ,  कोई मोर , कोई तोता , इत्यादि सभी पशु पक्षी बन व्रज में भगवान के आने से पहले ही व्रज मंडल को सुन्दर बना दिया

 कुछ देवता पिछे रह गए वो ब्रह्माजी के पास आये और वो देवता ब्रह्माजी से झगड़ा करने लगे की ब्रह्माजी ! आप ने हमको व्रज मे क्यों नही भेजा  ? जब  भगवान बाल कृष्ण लाल बन कर ठाकुर नारायण जहा इतनी सुनदर सुन्दर लीलाये करने के लिए पधारे है आप ने हमको व्रज मे क्यों नही भेजा ?, आप हम को भी व्रज में भेजिए !

 ब्रह्मा जी बोले देखो भाई ! व्रज में जितने लोगो को भेजना था उतनों को भेज दिया अब व्रज में जगह खाली नही है

बोले महाराज ! 'आप हमे ग्वालिया ही बना दो ,
बोले "जितने लोगो को ग्वालिया बनाना था उतनों को बना दिया अब ग्वालियो की जगह भी खाली नही है

बोले महाराज ! ग्वालिया नही बना सकते तो 'हम को गोपी बना दो
बोले "गोपियाँ भी जितनी बनानी थी उतनी बना दी जब ( रास ) होगा तो हजारो आ जाएगी इसलिए गोपियाँ की भी जगह खाली नही है

'बोले गोपी नही बना सकते , ग्वाला नही बना सकते तो  कोई बात नही आप हमे गईया ही बना दो
पर ब्रह्मा जी बोले की गईया भी खूब  बना दी है ( एक अकेले नन्द बाबा के पास नो  लाख गाये  है ) और , सो ,  दो सो , से कम तो किसी के पास है ही नही  अब तुम को भी गाय  बना दिया तो व्रज पूरा गो शाला ही बन जायेगा  इसलिए गाय भी जितनी बनानी थी बना दी  अब गाय की भी जगह खाली नही है


अच्छा महाराज ! 'गाय  नही बना सकते तो मोर ही बना दो नाच नाच कर ठाकुर को रिझाया करेंगे  ब्रह्मा जी बोले मोर भी खूब बना दिये  इतने मोर बना दिये की व्रज में समाही नही रहे है इसलिए उनके लिए एक अलग से मोर कुट्टी बनानी पड़ी इसलिए मोर की भी जगह खाली नही है ,

अच्छा महाराज ! 'मोर नही बना सकते तो , कोई तोता , मैना , चिड़िया ,कबूतर ,कुछ भी बना दो , ब्रह्माजी  बोले "वो भी खूब बना दिए पुरे पेड़ ,भरे हुए है


अच्छा महाराज  ! 'कुछ नही तो , बंदर ही बना दो ,
बोले बंदर भी खूब बना दिये आज तक परेशान करते है , जिसका भी चश्मा देखा खट्ट , कर ले ले ते है क्यों की ये सब देवता ही  बंदर  बने हुए है उस समय उन्होंने चश्मा देखा नही था तो आश्चर्य करते है की ये क्या चीज है भाई  , अगर आप का चश्मा  कोई बंदर ले जाये तो भोग रख कर हाथ जोड़ना जय हो देवता आप जो भी है….  वो आप का चश्मा  पर्क कर वापिस लोटा देंगे ,
 तो  ब्रहमाजी बोले बंदर भी खूब बना दिये बंदर की भी जगह खाली नही है


अच्छा महाराज ! बंदर नही बना सकते तो गधा ही बना दो , क्यों की गधा भी ठाकुरजी के काम आता है जब ठाकुर जी  होली की लीला करते है जब ग्वालियो को गधे पर बिठा कर दोड़ते  है तो देवता कहते है की क्या पता हमारे ऊपर कोई भक्त बैठे और ठाकुर जी अपने हाथो से थप्पकी दे कर रवाना करे उसमे भी फायदा है , ब्रह्मा जी बोले गधे भी बहुत बना दिये वो भी जगह खाली नही है ,

अच्छा महाराज ! गधा नही बना सकते तो कोई पेड़ - पोधा , लता- पता ही ,  बना दो
बोले ,पेड़- पोधा, लता- पता मेने  जितने बनाने थे सब बना दिये  , इतने बना दिए की सूर्य की किरने भी बड़ी कठिनाई से धरती को स्पर्श करती है और कितने लता- पता बनाऊ

महाराज ! कोइ तो जगह दो हम को !, कैसे भी करके व्रज में तो भेजो "बोले कोई जगह  खाली नही है
तब देवताओ ने हाथ जोड़कर ब्रह्माजी से कहा
महाराज ! आप हमे कुछ नही बना सकते तो  , अगर हम कोई जगह अपने लिए ढूंढ़ के ले आये तो आप हम को वर्ज में भेज दोगे  ,बोले "हाँ तुम अपने लिए कोई जगह ढूंढ़ के ले आओगे तो मैं तुम्हे व्रज में भेज दूंगा ,

देवताओ को झट से याद आया की रेती तो कितनी भी हो सकती है …

ब्रह्माजी से बोले अच्छा महाराज ! गोपी , ग्वाला ,पशु , पक्षी ,पेड़ , पोधा , लता पता , कुछ ना बनाओ तो हम को ( व्रज की रज ही ) बना दो वोटो कितनी भी हो सकती है , कुछ नही तो बाल कृष्ण लाल के चरण पड़ने से ही हमारा कल्याण हो जायेगा  हम को व्रज में रेत बनना भी मंजूर है...
 इसलिए व्रज की रेत भी सामान्य नही है वो रज भी देवी देवता ऋषि मुनि इत्यादि.. है।
 { जय जय श्री राधे
}

No comments :

Post a Comment