जब जब होय धर्म की हानि !
तब तब प्रकटे नारायण श्यामी !!
जब जब धरती माँ , अधर्म पापियों के पाप से घिर जाती है तब तब अपना भार हरने वाले भगवान को अवतरित होने के लिए ब्रह्माजी के पास जा कर विनती करते है..
जब लाखो दैत्यों के दल ने घमंडी राजाओ का रूप धारण कर अपने भारी भारसे पृथ्वी को आक्रांत कर रखा था उससे त्राण पाने के लिए वह ब्रह्माजी की शरण में गयी पृथ्वी ने उस समय गो का रूप धारण कर रखा था उसके नेत्रों से आँसू बह बह कर मुंह पर आ रहे थे उनका मन खिनतो था ही शरीर भी बहुत कृश हो गया था वह बड़े करुर स्वर से रँभा रही थी , ब्रह्माजी के पास जा कर उसने उन्हें अपनी पूरी कष्ट कहानी सुनाई ,
ब्रह्माजी ने बड़ी सहानुभूति के साथ उसकी दुःख गाथा सुनी उसके बाद वे भगवान शंकर एव स्वर्ग के अन्यान्य प्रमुख देवता तथा गो के रूप में आई पृथ्वी को साथ लेकर शिरसागर के तट पर गए , भगवान विष्णु देवताओ के भी आराध्य देव है वे अपने भक्तो की समस्त अभिलासये पूर्ण करते और उनके समस्त क्लेसो को नष्ट करते है ,
वे सभी तट पर पहुच कर ब्रह्माजी व् अन्य देवताओ ने पुरुष सूक्त के द्व़ार उन्ही पुरुष सर्वान्तर्यामी प्रभु की स्तुति करते करते ब्रह्माजी समाधिस्त हो गए उन्होंने समाधी अवस्था में आकाशवाणी सुनी इस के बाद जगत के निर्माण करता ब्रह्माजी ने देवताओ को कहा की देवताओ ! मेने भगवान की वाणी सुन ली है तुम लोग भी उसे मेरे स्वर सुन लो और फिर वैसा ही करो ,उसके पालन में विलम्ब नही होना चाहिए
, भगवान को पृथ्वी के कष्ट का पहले से ही पता है वे ईश्वरो के भी ईश्वर है अतः अपनी कालशक्ति के द्वारा पृथ्वी का भार हरण करते हुए वे जब तक पृथ्वी पर लीला करे तब तक तुम लोग भी अपने अपने अंशो के साथ यदुकुल में जन्म ले कर उनकी लीला में सयोग दो
वाशुदेवजी के घर स्वयं पुरूषोतम भगवान प्रकट होंगे , और उनकी प्रियतमा ( श्रीराधा जी ) की सेवा देने के लिए देवगनाये जन्म ग्रहण करे...
बहुत से देवी देवता ऋषि मुनि ,अलग अलग रूप में जन्म ले कर आये है कोई गोपी के रूप में है , तो कोई ग्वाला , कोई गाय , कोई मोर , तो कोई तोता , कोई बंदर... पूरा व्रज मंडल ऐसे सजा हुआ है मानो सबको अपने दुल्हे का इंतजार हो , पर कुछ देवी देवता पीछे रह गए उनकी कथा अगले पोस्ट में....
{ जय जय श्री राधे }
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