Monday, 11 February 2013

6 /फरवरी की रात जब में व्रन्दावन वासी व् कृष्ण विरह का लेख लिख रही थी तो रात की एक बज ने को आई ।साब ने कहा मैम रात काफी हो गयी है सोना नही क्या ? साब ? साब यानि मेरे पति , मेने ध्यान नही दिया जैसे मुझे कुछ सुनाइ नही दिया हो । फिरसे कहा अरी मैम अब सो भी जाओ  रात काफी हो गयी एक बजने को आई है......... 4 , 5 बार कहने पर मेरी तरफ से कोई जवाब नही मिला तो मेरे पास आकर बोले इतना कहा खो गयी ? तुम कहो तो इस ठाकुर से ही तुमारा विवाह  करवादे , ये बात सुन कर मेरे भीतर गंभीरता छा गयी , मेरे मुख से निकला वोतो कबका हो चूका है | उन्होंने बात तो मजाक में कही पर मेरे भीतर गभीरता छा गयी वो सब्द मेरे कानो में अभी तक गूंज रहा है , क्या सच में किसी आत्मा का विवाह परमात्मा से होता है ? में भी असमज में हु पता नही अपर आत्मा उनके चरणों से लिपटने को बहुत आतुर हो रही थी जैसे मेरे सरीर से निकल कर भाग जाएगी । एक बार मेरे छोटे बेटे मनीष ने कहा मम्मी आप को देख ऐसा लकता है की भगवान कृष्ण की एक और पत्नी बढ़ गयी , भगवान कृष्ण की शोलह हजार एक सो आठ थी पर अब उनकी संख्या बढ़ गयी पता नही उसने ऐसा क्यों कहा , मेरे आस पास रहने वाले सब यही महसूस कर रहे है की मेने श्री कृष्ण को अपनी आत्मा का पति मान लिया,पर पता नही में उनके योग्य हु भी या नही जबतक उनसे मेरा रूबरू नही हो जाता में कैसे कहु 
ये लेख तो मेने 7 फरवरी की सुबह को ही लिख दिया था पर पोस्ट आज कर रही हु ....

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