Monday, 11 February 2013

                                 बालाजी कैसे प्रसन्न होते है......

एक बार किसी भक्त ने बालाजी से पूछा की , हे बालाजी आप कैसे प्रसन्न होते है ? सवामणी, नारियल छत्र या मुकुट से , बालाजी ने कहां तुम बताओ मेरा दिन रात क्या काम है ? उस भक्त ने कहा की आप तो सब दिन श्रीराम को ही भजते है ,
                 "बालाजी बोले फिर तुम खुद ही समझ जाओ में कैसे प्रसन्न होता हु , ना सवामणी से ,ना नारियल से , ना छत्र से , ना मुकुट से , इन सबकी मुझे कोई आवश्यकता नही , इन सबकी जगह कोई मेरे पास बेठ कर मुझे एक घंटे राम नाम का कीर्तन सुनाये तो मैं उसी श्रण उस भक्त पर प्रसन्न हो जाता हु , अन्यथा मैं किसी वष्तु से प्रसन्न  होनेवाला नही ||
                 विरोद किसी सवामणि या चढ़ावे का नही है , कहने का तात्प्रिय है की, किस देव को क्या प्रिय है |
       हा इन सब से भगवान श्री रामजी जरुर राजी होते है की मेरे भक्त के लाड कोड कर रहे है ।
बालाजी को जल्दी प्रसन्न करना हो , कोई मनोती मांगनी हो , मनोकामनाए पूर्ण करवानी हो तो भगवान श्री राम नाम के कीर्तन का चढ़ावा बोल दीजिये..... बालाजी तो संत है संतो को न तो स्वादिस्ट भोजन प्रिय है और ना ही श्रृंगार , सिर्फ एक लाल लंगोटी ही चाहिए ,और कुछ भी नही |
                   || जय श्रीराम ,जय श्रीराम ,जय श्रीराम,जय श्रीराम,||

                   || जय श्रीराम,जय श्रीराम,जय श्रीराम,जय श्रीराम,||
                                     || जय जय श्रीसीताराम ||

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