बालाजी कैसे प्रसन्न होते है......
एक बार किसी भक्त ने बालाजी से पूछा की , हे बालाजी आप कैसे
प्रसन्न होते है ? सवामणी, नारियल छत्र या मुकुट से , बालाजी ने कहां तुम
बताओ मेरा दिन रात क्या काम है ? उस भक्त ने कहा की आप तो सब दिन श्रीराम
को ही भजते है ,
"बालाजी बोले फिर तुम खुद ही समझ जाओ
में कैसे प्रसन्न होता हु , ना सवामणी से ,ना नारियल से , ना छत्र से , ना
मुकुट से , इन सबकी मुझे कोई आवश्यकता नही , इन सबकी जगह कोई मेरे पास बेठ कर मुझे
एक घंटे राम नाम का कीर्तन सुनाये तो मैं उसी श्रण उस भक्त पर प्रसन्न हो
जाता हु , अन्यथा मैं किसी वष्तु से प्रसन्न होनेवाला नही ||
विरोद किसी सवामणि या चढ़ावे का नही है , कहने का तात्प्रिय है की, किस देव को क्या प्रिय है |
हा इन सब से भगवान श्री रामजी जरुर राजी होते है की मेरे भक्त के लाड कोड कर रहे है ।
बालाजी
को जल्दी प्रसन्न करना हो , कोई मनोती मांगनी हो , मनोकामनाए पूर्ण करवानी
हो तो भगवान श्री राम नाम के कीर्तन का चढ़ावा बोल दीजिये..... बालाजी तो
संत है संतो को न तो स्वादिस्ट भोजन प्रिय है और ना ही श्रृंगार , सिर्फ एक
लाल लंगोटी ही चाहिए ,और कुछ भी नही |
|| जय श्रीराम ,जय श्रीराम ,जय श्रीराम,जय श्रीराम,||
|| जय श्रीराम,जय श्रीराम,जय श्रीराम,जय श्रीराम,||
|| जय जय श्रीसीताराम ||
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