Sunday, 3 February 2013

मीराबाई के विवाह की पिछली रात
उनका विवाह श्री श्याम सुन्दर के साथ...

अक्षय त्तियाका प्रभात प्रातः काल मीरा बाई पलंग पर सो कर उठी तो दासियाँ चकित रह गयी उन्होंने दौड़कर झाला जी को सुचना दी
उन्होंने आ कर देखा की मीरा विवाह के साजसे सजी है बहोमे चुड़ला पहना है जो विवाह के समय वर के यहाँ से वधु को पहनाया जाता है , नाक में नथ, सिरपर रखडी, शिरोभूषण, हाथो में रची मेहंदी , दाहिनी हथेली में हस्तमिलापका  चिह्न , और साड़ीकी पटली में खोंसा हुआ पीताम्बर गठजोड़ा , चोटी में गुँथे फूल , और केशोंमे पिरोये गये मोती , कक्ष में और पलंग पर बिखरे फूल देख कर ,मीराबाई की माँ ने हडबडा कर पूछा "यह क्या मीरा बारात तो अब आएगी न ??
मीरा ने सिर निचा किये पांव के अंगूठे से धरा पर रेख खीच ते हुए कहा आप सबको ब्याहने की बहुत जल्दी थी न ?आज पिछली रातको मेरा विवाह हो गया
भाबू प्रभु ने कृपा कर मुझे अपना लिया मेरा हाथ थाम कर उन्होंने भवसागर से पार कर दिया... मीरा के आखोमें हर्ष के आंसू निकल पड़े ,

मीरा को गहनों व् श्रंगार से सजे देख माँ ने पूछा ये गहने तो अमुल्य है मीरा कहा से आये ? मीरा " पडला है भाबू ( बारात और वरके साथ वधु के लिए आनेवाली सामग्री को पडला या बरी कहा जाता है ये सब पडलेमें आये है ...

मीरा ने धीरे धीरे लजाते हुए कहा पोसागे मेवा और श्रृंगार सामग्री और भी है, वे इधर रखे है आप देख सम्हाल ले
श्याम सुन्दर के वहां से आये जेवर व् पोशाके देख मीरा बाई की माँ की आखे फेल गयी......! जरी के वस्त्रो पर हीरे जवारत का काम किया गया था जो अँधेरे में भी चमचमा रहे थे ,
वीरमदेवजी आये उन्होंने सब कुछ देखा और समझा मन में कहा ,
मीरा का विवाह करवा कर क्यों इसे दुःख दे रहे है हम .किन्तु अब तो घड़िया घट रही है कुछ भी बस में नही रहा ,वे निश्वास छोड़  कर बाहर चले गए

मीरा श्यामकुञ्ज में जा कर नित्य कर्म करने लग गयी, माँ ने आकर  लाड लडाते हुए समझाया.... बेटी आज तो तेरा विवाह है चलकर सखियों व् भोजाइयो के बीच बैठ , यह भजन पूजा अब रहने दे
मीरा  " भाबू सबको एक जैसा खेल अच्छा नही लगता आज यह पडला देखकर और मेरी हथेली का यह चिह्न देख कर भी आप को विश्वास नही हुआ,

भाबू बोली "विश्वास तो है बेटी पर तुजे मालूम है की तेरी तनिक सी ना कितना अनर्थ कर देगी इस मेड़ता में ? मीरा समझ गयी भाबू से बोली माँ आप चिंता न करिए जब भी कोई नेग करना हो बुला लीजियेगा मैं आ जाउंगी ,
"वाह मेरी लाडली तूने मेरी चिंता दूर कर दी ,

और भोजराजजी की बारात दरवाजे पर आ खड़ी हुए....
चितोड़ से आया हुआ पडला रनिवास में पंहुचा ,जब मीराको धारण करने का समय आया तो मीरा ने कहा भाबू सब वैसा का वैसा ही तो है ? इसे ही रहने दो....
फेरो की समय बायें हाथसे गिरधर गोपाल साथ ले लिया
मीरा ने मंडपमें अपने और भोजराजजी के बीचमें ठाकुर जी को विराज मान कर दिया जगह कम पड़ी तो भोजराज जी थोड़ा परे सरक गए......
भोजराजजी मीराबाई के अच्छे मित्र बने ना की पति
जय श्री कृष्ण

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