Monday, 18 March 2013

                                         श्याम  विरह
 
ओ सुन राधिका दुलारी मैं हु द्वारकी भिकारी
तेरे श्याम  की पुजारी एक पीड़ा है हमारी
हमें श्याम ना मिला.. २

हम समझी थी कान्हा कही कुंजन में होगा
अभी तो मिलन का हमने सुख नही भोगा
सुनके प्रेम की परिभाषा , मन में मंदी थी जो आशा
आशा भाई रे निराशा , झूटी दे गया दिलाशा
हमें श्याम ना मिला.. २

देता है कन्हाई जिसे प्रेम की दिशा
सभ बिधि उसकी लेता है भी परीक्षा
कभी निकट बुलाये , कभी दूरिया बडाये
कभी हसाए - रुलाये , छलिय हाथ नहीं आये
हमें श्याम ना मिला.. २

अपना जिसे यहाँ कहे सब कोई
उसके लिए में दिन रात रोई
नेहा दुनिया से तोड़ा , नाता सावरे से जोड़ा
उसने ऐसा मुख मोड़ा , हमे कही का ना छोड़ा
हमें श्याम ना मिला.. २

ओ सुन राधिका दुलारी , मैं हु द्वारकी भिकारी
तेरे श्याम  की पुजारी , एक पीड़ा है हमारी
हमें श्याम ना मिला ।।
हमें श्याम ना मिला।।


                { जय जय श्री राधे }

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