भगवान भी भक्त की प्रतीक्षा में खड़े रह सकते है
भीष्म पितामाह की अंतिम इच्छा है की जबतक मेरे प्राण है तब तक गोविन्द मेरे सन्मुख खड़ा रहे
और कह दिया की "हे गोविन्द जब तक मेरे प्राण न निकले तब तक आप मेरे सामने यु ही खड़े रहो , और प्राण निकल ने की प्रतीक्षा करो ,
जिनकी प्रतीक्षा में पूरा विश्व खड़ा है पूरा ब्रह्माण्ड जिनकी प्रतीक्षा करता है आज भीष्म पितामाह ने त्रिलोकी के नाथ को अपने प्राणों की प्रतीक्षा में खड़ा कर दिया , की हे गोविन्द यु ही खड़े रहो।
ये बात हर कोई नही कह सकता , भगवान को खड़ा रहने का आदेश कोई ज्ञानी नहीं दे सकता , की खड़े हो जाओ मेरे सामने , योगी नही कह सकता की खड़े रहो मेरे सामने, ये शक्ति तो केवल भक्ति में ही है किसी प्रेमी में ही है ये आदेश तो एक भक्त ही दे सकता है , प्रेमी ही दे सकता है ,
और ठाकुर जी प्रेम की ही भाषा समझते है , और मानते भी है
इसलिए
भगवान कहते है की तुम यदि नाचना चाहते हो तो मेरी माया ले जाओ , खूब नाचोगे , माया नचाती है,और मुझे नचाना चाहते हो, तो मेरी भक्ति ले जाओ मेरा प्रेम ले जाओ , मुझ से प्रेम माग लो , जो मुझ से प्रेम करता है में उसके अधीन हु , जो मुझे अपना प्रेमी मानता हो में उसी क्षण उनके प्रेम के बंदन में बंद जाता हु,
इस लिए मैं भी आप सबसे यही कहूँगी , की
प्रभु से करो प्रेम इतना की किसी और से करने की गुन्जाईस ही न रहे
वो मुस्कुराये तुम्हे देख कर तो जिन्दगी में फिर कुछ पाने की ख्वाहिस ही ना रहे
भगवान श्री कृष्ण को पा ले फिर और कुछ पाना बाकि ही नही रहता
{ जय जय श्री राधे }
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