Saturday, 9 March 2013

             मनसे ही बंदन है , मन से ही मुक्ति 

दुःख का कारण एक ही है ऐसा होना चाहिए , ऐसा नही होना चाहिए , कोई वस्तु हमको मिल जाये तो हम सुखी हो जाते है और वोही वस्तु छीन ली जाये तो दुखी हो जाते है...

एक व्यक्ति बड़ा गरीब था वो एक दिन लोटरी का टिकट खरिद ले आया और मन में सोचा की सायद कोई किस्मत  चमक जाये , अगले दिन अखबार आया अखबार में विज्ञापन निकला विज्ञापन में दिए हुए लोटरी के नम्बरों से अपने नम्बरों से मिलान किया तो देखा की उनकी एक करोड़ की लोटरी लग गयी है

एक करोड़ की लोटरी लग गयी  ये सोच कर व्यक्ति खुसी के मारे पागल हो गया पैर जमीन पर नही टिक रहे है सारे घरमे पागलो की तरह घूम रहा है सब आस पास, पड़ोसी को ,अपने सगे  सम्बदियो , सबको बता रहा की मैं एक करोड़ रुपये जीत गया , सबको खूब खिलाया पिलाया खुसी के मरे पागल सा हो गया।

जब रात को सोने गया तो खुसी के मारे नींद नही आ रही है व् पागलो सा करवट बदलने लगा। मनमे विचार करने लगा एक करोड़ का क्या करूँगा ? अब सोता सोता सोचने लगा इतने लाख का सुन्दर मकान  बनाऊंगा, इतने लाख की गाड़ी खरीद दूंगा , इतने लाख की बच्चो के नाम ऍफ़ डी करके जाऊंगा , रात भर सो नही पाया पागलसी हालत हो गयी

अगले दिन फिर से अखबार आया फिर विज्ञापन निकला और पढ़ा।  लिखा हुआ था की भूल का थोडा सुधार किया जाये कल जो नंबर छपा था उसमे अंतिम जो नंबर था उनको तीन की जगह सात पढ़ा जाये ,

अब तो अखबार ले कर अपने सीर पर उठा उठा के मार ने लगा पागल हो गया की ये क्या हुआ ?
सर पकड कर बैठ गया पागलो सी हालत बना दी खाना पीना छोड़ दिया । आज फिर पागल सा हो गया  फर्क इतना है की  कल ख़ुशी में पागल हुआ था , आज गम में पागल है......।  कुछ बदला नही था विज्ञापन कल भी छपा था विज्ञापन आज भी छपा है ,सवेरा कलभी हुआ था .सवेरा आज भी हुआ है , अखबार कल भी आया था ,अखबार आज भी आया है
ये मन ही है जो बार बार कभी दुखी करता है , कभी सुखी...... 
इस लिए किसी संत ने ठीक ही कहा है की ,


मनके हारे हार है मनके जीते जीत , 
मन ही मिलाए राम से मनही करे फजीत
मनसे ही बंदन है , मन से ही मुक्ति 

{ जय जय श्री राधे }

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