Monday, 18 March 2013

प्रभु को अपने घर  बुलाने की गाँठ  लगा कर तो देखिये.....  

एक व्यक्ति बालाजी के मंदीर  जा कर रोज प्रार्थना करता, की हे बालाजी एक करोड़ रूपये की लोटरी लग जाये ,रोज जाता और रोज प्रार्थना करता, एक दीन बालाजी को बहुत ही गुस्सा आया और प्रकट होकर उस व्यक्ति के गाल पर खीच कर एक चाटा मारा  ,"व्यक्ति झनझनाता हुआ बोला मेने तो एक करोड़ रुपयों की लोटरी  लग जाये कहा था , चाटा तो नही माँगा ,"बालाजी गुस्से में आकर बोले अरे मुर्ख ! कबसे बोल रहा है लाटरी लग जाये -लाटरी लग जाये ,टिकट तो खरीद इतना तो काम तू भी कर सारे काम में ही करूँगा ,तो तू क्या करेंगा ?.......

ठीक उस व्यक्ति की तरह हमारा भी येही हाल है ,की कुछ किये बिना ही सब मिल जाये,श्रम किये बिना ही सब मनोरथ पुरे हो जाये.... सच कहे तो भगवान को हमने परेसान कर के रख दिया है ,मनोरथ माँग- माँग कर , कभी नारियल कभी सवामणि, कभी फीते की गाँठ बांध कर, की हे भगवान हम गाँठ लगा कर जाते है हमारी मनोकामनाए पूर्ण हो जाये...

सबको सिर्फ अपनी पड़ी है , भगवान से तो किसी को कोई मतलब ही नही है ,सब भगवान से चाहते है , पर भगवान को कोई नहीं चाहता !
क्या कभी किसी ने भगवान को घर बुलाने की गाँठ  लगायी है ? की हे प्रभु हम आप के दरबार में गाँठ लगा कर जा रहे  है आप को शपत देते है, की आप को हमारे घर आना ही  होगा, हमारा चित्त आप के चरणों में लगाना ही होगा ,हम्हे आप से प्रेम हो जाये ऐसा जादू चलाना ही होगा.....  ,

सच में हम सब आज  दुरियोधन जेसे बन गए है ,कभी अर्जुन जेसे बनकर देखिये , प्रभु को अपने घर  बुलाने की गाँठ  लगा कर तो देखिये  ,इश्वर  को ! हर कदम आप अपने साथ पाएंगे....,भगवान कहते है की दुःख और सुख तो जीवन में धुप छाव की तरह  है ,पर जो निरंतर मुझे भजता है जो मेरा ही स्मरण करता है ,उसे कभी दुःख , दुखी नहीं करता ,क्यों की दुःख में ,में मेरे भक्त को अपनी गोदी में बैठा लेता हु .......

पांडवो जैसा तो दुःख सायद किसी में नही पड़ा होगा .पर भगवान श्री कृष्ण के साथ रहने के कारण उने दुःख कभी दुखी नहीं कर पाया ,और ना ही  कभी पीड़ा महसूस की ....बल्कि सब कुछ होते हुए भी दुखी तो कौरव रहे थे, ये हम सब जानते है
भगवान हमारे  कर्म को सुध करते है कर्म तो हम्हे ही करना  पड़ेगा  , बिना पसीने किये कही एषो आराम नहीं मिलते ....


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