भगवान मेरे अपने है....
आप अपनी करनी की तरफ मत देखो ,अपने पापोकी तरफ मत देखो केवल भगवान की तरफ
देखो। जैसे विदुरानी भगवान को छिलका देती है तो भगवान छिलका ही खाते है।
छिलका खाने में भगवान को जो आनन्द आता है वैसा आनन्द गिरी खाने में नहीं
आता। कारण की विदुरानी के मनमे ये भाव था की भगवान मेरे है।
हमारे मन
में भी ये भाव आ जाये की भगवान मेरे है मैं भगवान का हु फिर भगवान हमे सुख
देने के लिए गिरी भक्त को और छिलका खुद खाने को भी तैयार
हे मेरे नाथ मैं आप कोहे को भूलू नहीं....
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